भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ की कुलपति बनीं प्रो. मांडवी सिंह

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प्रो. सिंह के अनुसार कथक के लखनऊ शैली की शिक्षा मुझे मिली है। लखनऊ तो मेरे लिए कथक की तीर्थ स्थली है। कथाकाचार्य पंडित लच्छू महाराज के गंडाबंद शिष्य पीडी आशीर्वादन से कथक शिक्षण ग्रहण करने वाली प्रो. सिंह पिछले 12 वर्षों से पंडित बिरजू महाराज के पुत्र जयकिशन महाराज के साथ कथक शिक्षा से जुड़ी हैं।

भारत के साथ-साथ विदेश के कई विद्यार्थियों ने प्रो. सिंह के सानिध्य में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वह विभिन्न भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के अध्ययन बोर्ड शैक्षणिक निकायों की सदस्य भी हैं। प्रो. सिंह की भारतीय संस्कृति में कथक परंपरा का दूसरा संस्करण कथक परंपरा, कथक नृत्य परंपरा में गुरु लच्छू महाराज, कथक परंपरा और रायगढ़ दरबार किताबें भी प्रकाशित हैं।

एक दैनिक समाचार पत्र को दिए साक्षात्‍कार में प्राे. मांडवी सिंह ने कहा कि कार्यभार ग्रहण करने के बाद वहां की स्थितियों का अध्ययन कर कार्य करूंगी। योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा। जो चीजें विश्वविद्यालय के विकास में अवरोध हैं, उन्हें दूर करना प्राथमिकता होगी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की विश्वविद्यालयी शिक्षा को लेकर अनेक योजनाएं हैं, उसका लाभ कैसे मिले, इस पर ध्यान देंगे। किसी भी उच्च शिक्षा का मूल्यांकन नैक के माध्यम से होता है। नैक के मूल्यांकन और उसके मापदंड के अनुसार कार्यप्रणाली पर विचार करना होगा। तभी हम संगीत शिक्षा को मुख्य धारा से जोड़कर विश्वविद्यालय का विकास सुनिश्चित कर पाएंगे।

संगीत ने मेरे मन और जीवन को इतना तृप्त किया है कि मैं बिना अभ्यास तो रह नहीं सकती। वैसे भी शिक्षा के साथ अभ्यास जुड़ा हुआ है तो यह तो चलता ही रहेगा, तभी मैं कुछ रचनात्मक कार्य विश्वविद्यालय के लिए कर पाऊंगी। विद्यार्थियों के शिक्षण, प्रशिक्षण के लिए प्रशासक और शिक्षक को अभ्यासरत रहना जरूरी है।

-एजेंसी