आगरा । राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा कि घर में हर वस्तु का सैट चाहिए, लेकिन माइंड अपसैट रहता है। यदि दिमाग संतुलित रहेगा तो जीवन तरक्की करेगा। वरना बाधा ही बाधाएं आती रहेंगी।
नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज के प्रवचनों की श्रंखला जारी है। शहर के विभिन्न स्थानों पर उनकी धर्म सभाएं हो रही हैं। बच्चूमल एंड संस के आवास पर गुरुवार को उन्होंने धर्म चर्चा की। उन्होंने कहा कि घर में सौफा का सैट, चूड़ियों के सैट, गहने के सैट, कपड़ों के सैट, यानि हर किसी का सैट होता है, लेकिन माइंड सैट नहीं रहता। मन चंचल रहता है। मन की एकाग्रता ही तो तप है। पूजन, भजन करते हैं,लेकिन मन कहीं और रहता है। भटकाव की स्थिति रहती है। इसलिए उसे नियंत्रण करना चाहिए।
जैन मुनि ने कहा कि पूर्व जन्मों के कर्मों के फल से हमें इस जीवन में सब कुछ मिला हुआ है। जिसके पास धन संपदा है, वह सौभाग्यशाली है। उससे अधिक सौभाग्यशाली वह है, जिसके परिवारीजन आज्ञाकारी हैं। फिर भी हम अपने जीवन में अभाव महसूस करते हैं। क्योंकि हमारे में मन की इच्छाएं अपरिमित हैं। वह कभी पूरी नहीं होती। यदि हम अपने जीवन के 50 साल पीछे देखें तो कितना अभाव था। न फोन, न टीवी, कोई इस प्रकार की सुविधा नहीं थी। आज एक व्यक्ति का एक मोबाइल से काम नहीं चलता। भौतिक सुख, संपदा बढ़े हैं, लेकिन धर्म का अभाव है। वैसे भी जैसे-जैसे व्यक्ति के पास संपन्नता आती है, धर्म दूर होता जाता है।
धर्म की विवेचना करते हुए उन्होंने कहा कि अडानी, अंबानी तो सब बनना चाहते हैं,लेकिन पंच व्रत धारी साधु बनने की कोई कल्पना तक नहीं करता। उसके लिए भाव ही नहीं आते। माला जपना, मंदिर जाना ही धर्म नहीं हैं, सेवा करना भी एक धर्म है। भगवान महावीर ने कहा है कि जीवों पर दया करना भी बड़ा धर्म है। यदि हम एक दिन का उपवास करते हैं, उसमें ही असंख्य जीवों को जीवनदान मिल जाता है। क्योंकि भोजन करने पर भी अनगिनत जीव हिंसा होती है। इसलिए हमें अपने जीवन को संयमित करना चाहिए।
गुरुवार की धर्म सभा में रंजीत सुराना, सुरेश सुराना, कोमल सुराना, सुलेखा सुराना, वैभव जैन, राजीव चपलावत, राजेश सकलेचा सहित अनेक धर्म प्रेमी उपस्थित थे।
-up18news
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