प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (11 नवंबर) को बेंगलुरु में नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फीट की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। बता दें कि ‘नादप्रभु’ केम्पेगौड़ा शहर के संस्थापक होने का श्रेय दिया जाता है। इस मौके पर पीएम मोदी ने दो ट्रेनों- दक्षिण भारत की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस और भारत गौरव काशी दर्शन ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई।
नादप्रभु केम्पेगौड़ा
नादप्रभु केम्पेगौड़ा, विजयनगर साम्राज्य के 16वीं शताब्दी के शासक थे। नादप्रभु केम्पेगौड़ा को बेंगलुरु के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने अपने मंत्री के साथ शिकार करते हुए एक नए शहर पर विचार किया था और बाद में प्रस्तावित शहर के चारों कोनों में टावरों को खड़ा करके अपने क्षेत्र को चिह्नित किया।
केम्पेगौड़ा को पीने के लिए और कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए शहर में लगभग 1,000 झीलों का विकास करने के लिए भी जाना जाता है। केम्पेगौड़ा दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख कृषि वोक्कालिगा समुदाय से थे।
केम्पेगौड़ा का नाम शहर में हर जगह है देखने को मिलता है। जैसे केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, केम्पेगौड़ा बस स्टैंड और यहां तक कि शहर के मुख्य मेट्रो स्टेशन को नादप्रभु केम्पेगौड़ा मेट्रो स्टेशन कहा जाता है। वहीं पुराने शहर में एक मुख्य सड़क को के जी रोड या केम्पेगौड़ा रोड कहा जाता है।
बीजेपी का क्या लक्ष्य है?
लिंगायतों के बाद कर्नाटक के दूसरे सबसे प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय में केम्पेगौड़ा प्रतिष्ठित माने जाते हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार केम्पेगौड़ा को सम्मानित करके वोक्कालिगा समुदाय को भाजपा लुभाने की योजना बना रही है। बता दें कि बीजेपी को 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में कभी भी 113 से अधिक सीटों पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। पार्टी ने हमेशा वोक्कालिगा समुदाय को अपने पाले में करने के लिए संघर्ष किया।
भाजपा तलाश रही है मौका
दरअसल, इस समुदाय के पास पुराने मैसूरु का गढ़ है। बता दें कि दक्षिण कर्नाटक में मैसूर क्षेत्र में वो क्षेत्र शामिल हैं जो मैसूर के पूर्व साम्राज्य का हिस्सा थे। ऐसे में भाजपा 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद से इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने के लिए एक नया अवसर तलाश रही है।
Compiled: up18 News