मिस्र के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजधानी काहिरा स्थित अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया। 11वीं सदी की यह मस्जिद काहिरा में दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए बहुत ही ज्यादा सांस्कृतिक महत्व रखती है। इस समुदाय की मदद से ही इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। फरवरी में इस मस्जिद को दोबारा खोला गया था। कई विशेषज्ञ हजारों साल पुरानी इस मस्जिद में पीएम मोदी यात्रा को काफी अलग तरीके से देख रहे हैं। उनका कहना है कि मिस्र आकर इस मस्जिद का दौरा करना द्विपक्षीय संबंधों में गेम चेंजर होगा। उन्होंने उनके इस दौरे की तारीफ की है।
बोहरा समुदाय ने कराया रेनोवेशन
सन् 1997 के बाद कोई भारतीय पीएम मिस्र की यात्रा पर गया है। यह मस्जिद मिस्र के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। मस्जिद, अल-मुइज स्ट्रीट के पूर्वी तरफ स्थित है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार दाऊदी बोहरा इस्माइली शिया संप्रदाय ने मस्जिद के लिए स्थानीय मुद्रा में करीब 85 मिलियन पाउंड का दान दिया। इस साल फरवरी में इसे जनता के लिए दोबारा खोल दिया गया। इस मस्जिद के रेनोवेशन का श्रेय भारतीय बोहरा समुदाय के सुल्तान मुफद्दल सैफुद्दीन और उनके आध्यात्मिक नेता 53वें अल-दाई अल-मुतलक को जाता है।
खराब हालत में थी मस्जिद
राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के प्रवक्ता बासम राडी ने बताया कि राष्ट्रपति ने कई मंदिरों और ऐतिहासिक मस्जिदों के नवीनीकरण के लिए उनका आभार जताया है। इस मस्जिद का निर्माण, मिस्र के तुलुनिद साम्राज्य के संस्थापक अहमद इब्न तुलुन ने 879 ईस्वी में शुरू कराया था और यह 1013 में पूरा हुआ। यह मिस्र की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद और काहिरा में दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है। मगर समय गुजरने के साथ ही मस्जिद काफी खराब स्थिति में पहुंच गई थी।
यूनेस्को की धरोहर में शामिल
इसके आधिकारिक पेज के मुताबिक मस्जिद की हालत ऐसी हो गई थी लगता था कि इसकी अब कोई भूमिका ही नहीं बची है। 19वीं और 20वीं दी में मिस्र में यूरोप से पर्यटकों का आना शुरू हो गया। तब इसके परिसर को एक किले, अस्तबल, एक संग्रहालय, एक गोदाम और एक स्कूल में बदल दिया गया था। सन् 1979 में, इसके एक हिस्से को काहिरा में मौजूद यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
Compiled: up18 News
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.