कोविड पर बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी की टिप्पणी अब तूल पकड़ने लगी है. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती क़ीमतों पर राज्य सरकारें मोदी सरकार को घेर रही हैं तो केंद्र सरकार बोझ कम करने के लिए टैक्स में कटौती की बात कहकर राज्यों पर ज़िम्मेदारी डाल रही है. एक दिन पहले महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने बताया था कि महाराष्ट्र का अभी भी केंद्र पर 26,500 करोड़ रुपए बकाया है. अब केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने महाराष्ट्र सरकार को घेरा है.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है- सच्चाई से चोट पहुँचती है, लेकिन तथ्य ख़ुद बोलते हैं. महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2018 से 79,412 करोड़ रुपए ईंधन कर के रूप में एकत्र किए हैं और उम्मीद है कि राज्य सरकार इस साल 33 हज़ार करोड़ इकट्ठा करेगी. (कुल मिलाकर 1,12,757 करोड़). लोगों को राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार पेट्रोल और डीज़ल पर वैट में कमी क्यों नहीं करती?
हरदीप सिंह पुरी ने आगे लिखा है कि अगर विपक्ष शासित राज्य आयातित शराब के बदले ईंधन पर टैक्स में कटौती करें, तो पेट्रोल सस्ता होगा. महाराष्ट्र सरकार पेट्रोल पर 32.15 रुपए प्रति लीटर टैक्स लगाती है जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान सरकार प्रति लीटर 29.10 रुपए टैक्स लगाती है. लेकिन बीजेपी शासित उत्तराखंड में प्रति लीटर 14.51 रुपए और उत्तर प्रदेश में 16.50 रुपए प्रति लीटर टैक्स लगते हैं.
एक दिन पहले महाराष्ट्र सीएमओ ने कहा था कि मुंबई में एक डीजल पेट्रोल की बिक्री पर केंद्र को टैक्स के तौर पर 24.38 रुपए मिलते हैं और राज्य को 22.37 रुपए. एक लीटर पेट्रोल की बिक्री पर 31.58 रुपए का सेंट्रल टैक्स है. राज्य के हिस्से 32.55 रुपए आता है. इसलिए ये कहना सही नहीं है कि पेट्रोल-डीजल की क़ीमतें राज्यों की वजह से बढ़ रही हैं.
-एजेंसियां
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