देश की संसद व विधानसभाओं में पेश किए जाने वाले विधेयकों के प्रारूप का 60 दिन पहले सार्वजनिक प्रकाशन किए जाने की मांग उठी है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर शीर्ष कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगी।
संसद में कृषि कानूनों के ताबड़तोड़ पारित होने और उसके खिलाफ किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में यह अहम याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका वकील अश्विनी दुबे के माध्यम से दायर की है। प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ इस पर विचार करेगी।
याचिका में मांग की गई है कि संसद व विधानसभाओं में पेश किए जाने वाले विधेयकों के प्रारूप का कम से कम 60 दिन पहले मुख्य रूप से सरकारी वेबसाइटों पर प्रकाशन किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने शीर्ष कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह केंद्र व राज्य सरकारों को निर्देश दे कि वे विधेयकों को पेश किए जाने के पूर्व सार्वजनिक बहस व विचार विमर्श के लिए 60 दिन पहले प्रकाशित करें। इस संबंध में 10 जनवरी 2014 को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में विधेयक के पूर्व विचार विमर्श की नीति पर लिए गए फैसले पर भी अमल की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि जनता से व्यापक विमर्श व प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए विधेयकों के प्रारूप व उन्हें अंतिम रूप दिए जाने के पहले प्रकाशित किए जाएं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया व आधुनिक मीडिया के दौर में बिना विचार विमर्श के रातों रात विधेयकों को मंजूरी उचित नहीं है।
Compiled: up18 News