यूपी में बिजली विभाग के निजीकरण की चर्चाओं के बीच कर्मचारियों की ओर से विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। मगर योगी सरकार इस दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाती हुई दिख रही है। शनिवार को पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की उच्चस्तरीय बैठक के दौरान इस मुद्दे पर गहराई से मंथन किया गया। इस बैठक के दौरान तय किया गया कि पावर कॉरपोरेशन के दो डिस्काम पूर्वांचल और दक्षिणांचल को जिन पांच निजी कंपनियों को सौप जाएगा, उसके अध्यक्ष मुख्य सचिव ही रहेंगे।
मुख्य सचिव ही होंगे अध्यक्ष
दरअसल निजीकरण की चर्चाओं के बीच बिजली कर्मचारियों की ओर से विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हो गई है। इसलिए सरकार की ओर से बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि उनके हितों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ने वाला है। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की ओर से इस बाबत भ्रम को दूर करने की कोशिश की गई है।
प्रबंधन का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति को सुधारने के लिए यह रिफॉर्म प्रक्रिया अपनाई जा रही है। प्रबंधन के मुताबिक इस प्रक्रिया के तहत मुख्य सचिव को ही पांचों कंपनियों का अध्यक्ष बनाया जाएगा। इससे बिजली विभाग के अधिकारियों,कर्मचारियों, किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा बनी रहेगी। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की ओर से यह भी साफ किया गया है कि बिजली विभाग के रिफार्म की प्रक्रिया में भाग लेने वाली निजी कंपनियों के लिए बिडिंग प्रक्रिया पूरी तरह खुली, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक रखी जाएगी। प्रबंधन की ओर से कोई भी तथ्य छिपाने की कोशिश नहीं की जाएगी।
प्रबंधन का कहना है कि निजी कंपनियों को केवल बिजली वितरण संबंधी कार्यों को करने की अनुमति दी जाएगी। सरकार की ओर से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में निजी कंपनियों को जमीन का स्वामित्व नहीं मिलेगा। डिस्काम की संपत्तियों का उपयोग वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकेगा। प्रबंधन का कहना है कि रिफॉर्म प्रक्रिया के तहत निजी कंपनियों को इन संपत्तियों का उपयोग शापिंग माल, दुकानों या काम्प्लेक्स सहित अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए करने की अनुमति नहीं होगी।
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