मणिपुर पर विपक्ष के विरोध के बीच संसद ने विधेयक पारित किये, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजातियों से संबंधित विधेयक राज्यसभा में पारित

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मणिपुर पर विपक्ष के विरोध के बीच संसद ने विधेयक पारित किये गए । इस बीच राज्यसभा में मंगलवार को छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित विधेयक पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा के दौरान मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। लोकसभा ने दिसंबर 2022 में इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी।

राज्यसभा ने छत्तीसगढ़ में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, साओंरा और बिंझिया समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने वाले संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश किया।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर मुद्दा उठाते हुए कहा कि वह विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आना चाहिए और पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा पर बोलना चाहिए, जिस पर सत्ता पक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई। वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि सदन के नेता के उकसावे पर बार-बार बाधा डालने और हंगामे में विधेयकों को पारित करने की जिद के कारण ‘इंडिया’ के सभी सांसदों ने पूरे दिन सदन से वॉकआउट किया।

राज्यसभा में इन सबसे इतर, चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के निरंजन बिशी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए फायदेमंद होगा। इसी तरह, वाईएसआरसीपी के रयागा कृष्णैया, जिन्होंने तेलुगु में बात की, ने भी कानून का समर्थन किया। भाजपा के समीर ओरांव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि आजादी के बाद से आदिवासी विकास से वंचित रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने उनके विकास के लिए कई कदम उठाए हैं।

पिछले साल दिसंबर में लोकसभा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया था। विधेयक में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, साओंरा और बिंझिया समुदायों को छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने का प्रावधान है। इसमें भुनिया, भुइयां और भुयां को भारिया भूमिया समुदाय के पर्यायवाची के रूप में औपचारिक रूप देने का भी प्रयास किया गया है। इसमें पांडो समुदाय के नाम के तीन देवनागरी संस्करण भी शामिल हैं।

Compiled: up18 News