परमबीर सिंह ने अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ दायर मानहानि का केस वापस लिया

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लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक़ जज ने कहा, “इस बात में कोई शक नहीं है कि मु़कदमा दायर करने के कारण प्रतिवादी को वकील की ज़रूरत पड़ी. मुझे लगता है कि बिना शर्त मुक़दमा वापस लेने पर ये रक़म लेनी होगी.”
ये मुक़दमा पिछले साल दायर किया गया था और परमबीर सिंह की कथित तौर पर ‘ग़लत छवि पेश करने’ की एवज में 12 प्रतिशत ब्याज के साथ 90 लाख रुपये की मांग की गई थी.

अर्नब गोस्वामी और एआरजी की तरफ़ से इसकी वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि जब सिंह अब पुलिस कमिश्वर नहीं हैं, तो क्या इस मुक़दमे को जारी रखना चाहिए.

उनकी तरफ़ से ये भी दलील दी गई परमबीर ने ईडी के सामने कथित तौर पर कहा है कि बर्ख़ास्त किए जा चुके अफ़सर सचिन वाज़े सीधे पूर्व मंत्री अनिल देशमुख से निर्देश ले रहे थे.

साल 2020 में ब्रिटेन के ऑफ़िस ऑफ़ कम्युनिकेशन (OfCom- ऑफ़कॉम) ने अर्नब गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक भारत के एक कार्यक्रम को नफ़रत और असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाला पाया था. ऑफ़िस ऑफ़ कम्युनिकेशन ने ब्रिटेन में न्यूज़ चैनल के ब्रॉडकास्ट अधिकार रखने वाली कंपनी वर्ल्डवाइड मीडिया नेटवर्क लिमिटेड पर 20 हज़ार पाउंड (क़रीब 20 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया था.

अर्नब उत्तर-पूर्व राज्य असम में पैदा हुए थे. एक आर्मी अफ़सर के बेटे अर्नब ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की और ऑक्सफ़ॉर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री किया.

उन्होंने अपनी शुरुआत कोलकाता के टेलीग्राफ़ न्यूज़पेपर से की और उसके बाद उन्होंने एनडीटीवी न्यूज़ चैनल ज्वाइन किया. उनके पुराने सहकर्मी उन्हें एक संतुलित प्रेज़ेंटर के रूप में याद करते हैं जिन्होंने टीवी पर सार्थक बहस की.

लेकिन जब साल 2006 में टाइम्स नाउ चैनल शुरू हुआ और अर्नब इसका मुख्य चेहरा बने, तब से उनकी ऑन-स्क्रीन छवि धीरे-धीरे बदलती चली गई और आज वे सबके सामने हैं. उन्होंने भारत के मध्यम वर्ग की नस पकड़ी जो साल 2008 में मुंबई हमलों की वजह से कांग्रेस से नाराज़ था और भ्रष्टाचार के मामलों से भड़का हुआ. धीरे-धीरे वे घर-घर लिये जाने वाला नाम बन गए.
साल 2017 में उन्होंने रिपब्लिक चैनल की स्थापना की और उसके बाद वे ज़्यादा पक्षपाती और कठोर दिखने लगे. 2019 में उन्होंने हिंदी चैनल भी शुरू किया.

Compiled: up18 News