सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत के राजकीय दौरे पर हैं। जी-20 बैठक के बाद अब सऊदी प्रिंस की भारत की राजकीय यात्रा शुरू हो गई है, और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएम मोदी के साथ उनका भव्य स्वागत किया है। सऊदी प्रिंस की इस भारत यात्रा के दौरान अरबों डॉलर के समझौते होने जा रहे हैं। वहीं कभी भारत के खिलाफ सऊदी अरब का इस्तेमाल करने वाला पड़ोसी पाकिस्तान अपने देश की जनता के साथ बेइज्जत होने को मजबूर हो गया है। पाकिस्तान लगातार सऊदी प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि कुछ मिनट के लिए ही सही, लेकिन मोहम्मद बिन सलमान इस्लामाबाद जरूर आएं। पाकिस्तान की इस शर्मनाक स्थिति पर देश के विशेषज्ञ भड़क उठे हैं।
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में कामरान युसूफ लिखते हैं- ‘एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय भारत से ज्यादा थी लेकिन आज हम दुनिया से कर्ज की गुहार लगा रहे हैं। पाकिस्तान का उस समय दुनियाभर में प्रभाव भी बहुत ज्यादा था। इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की भले ही सऊदी अरब अध्यक्षता करता था, लेकिन पर्दे के पीछे से उसे पाकिस्तान चलाता था।
दुनिया के नेता जब दक्षिण एशिया की यात्रा पर आते थे तो वे कभी भी पाकिस्तान न आने का साहस नहीं कर पाते थे। वे पहले पाकिस्तान में रुकते थे और फिर भारत जाते थे। सऊदी प्रिंस तो पाकिस्तान आए बिना ही भारत चले गए। वह भी तब जब पाकिस्तान सऊदी अरब को अपना ‘मुस्लिम ब्रदर’ मानता है।
पाकिस्तान भीख मांगता रहा, भारत तरक्की कर गया
कामरान ने बताया कि पाकिस्तान में जब सेना ने विद्रोह किया और उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाए गए, तब भी साल 1999 बिल क्लिंटन भारत जाते समय इस्लामाबाद में रुके थे। 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता कराया था ताकि पाकिस्तान अफगानिस्तान के मोर्चे पर अपना ध्यान लगा सके।
अमेरिका ने इस दौरान पाकिस्तान को जमकर डॉलर दिए थे। इस दौरान जहां भारतीयों ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना शुरू किया, वहीं पाकिस्तान लगातार दूसरे देशों की मदद पर ही निर्भर बना रहा। पाकिस्तान को यह अहसास नहीं हुआ कि चीन के उदय से अमेरिका के प्रभुत्व को सीधा खतरा पैदा हो गया है और इससे भूराजनीतिक स्थिति बदल गई है।
भारत का मजाक उड़ाकर नहीं बदलेगी असलियत
पाकिस्तानी पत्रकार ने कहा कि भारत इस बदली हुई परिस्थिति में अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए प्रमुख सहयोगी बन गया। भारतीय अर्थव्यवस्था के लगातार विकास से न केवल पश्चिमी देश बल्कि खाड़ी के वे देश भी बिजनेस करने को मजबूर हो गए जो अब तक पाकिस्तान के सहयोगी थे। भारत का बढ़ता प्रभाव जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान साफ नजर आया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी भले ही भारत का मजाक उड़ा लें, लेकिन वे असलियत को नहीं बदल सकते। भारत जहां तरक्की कर रहा है, वहीं पाकिस्तान के पास इस संकट से निकलने का रास्ता सूझ नहीं रहा है। पाकिस्तान ने अगर सूझबूझ दिखाई होती तो वह भी जी20 सम्मेलन में मौजूद होता। कामरान ने कहा कि यह समय पाकिस्तान के लिए आत्ममंथन का है।
Compiled: up18 News