डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान ने अब अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल और गेहूं के आटे पर सब्सिडी का ऐलान किया है जिससे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बुरी तरह से भड़क उठा है। आईएमएफ ने शहबाज सरकार के ईंधन पर सब्सिडी देने की मंशा पर सवाल उठाया और कहा कि इस बारे में उनसे कोई सलाह नहीं ली गई थी। आईएमएफ के इस रुख के बाद अब वैश्विक एजेंसी से पाकिस्तान को लोन मिलने की संभावना धूमिल हो गई है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब शहबाज शरीफ सरकार ने अरबों डॉलर की पेट्रोल सब्सिडी का ऐलान किया है। इसके अलावा सरकार 73 अरब रुपये की सब्सिडी गेहूं के आटे पर देने जा रही है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक यह आईएमएफ से कर्ज लेने की दिशा में बहुत बड़ा रोड़ा बन गया है। पाकिस्तान सरकार ने अपने देश के हालात सुधारने की बजाय 800 सीसी की कार और मोटरसाइकिल रखने वाले लोगों को पेट्रोल पर 50 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देने का ऐलान किया है।
इमरान के डर से दे रहे सब्सिडी!
यही नहीं खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब की सरकारों ने आटे पर 73 अरब रुपये की सब्सिडी का ऐलान किया है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईएमएफ ने पीएम की पेट्रोल योजना को फाइनेंस करने के स्रोत के बारे में भी सवाल किया है। एजेंसी ने यह भी जानना चाहा है कि शहबाज सरकार इस सब्सिडी योजना को किस तरह से लागू करेगी। आईएएफ की प्रतिनिधि इस्तेर पेरेज ने कहा कि पाकिस्तानी प्रशासन ने आईएमएफ से इस फ्यूल सब्सिडी के बारे में कोई सलाह नहीं ली थी और ऐलान भी कर दिया।
पेरेज ने कहा कि आईएमएफ ने योजना के संचालन, खर्च, लक्ष्य और धोखाधड़ी से बचने के लिए बचाव के तरीके पूछे हैं। पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि वह गरीबों को राहत दे रही है। आईएमएफ के इस रुख के बाद अब पाकिस्तान को लोन मिलना मुश्किल हो गया है। इससे पहले शहबाज सरकार ने कई ऐसे राजनीतिक कदम उठाए थे जिससे आईएमएफ ने कर्ज देने में आनाकानी शुरू कर दिया था।
आईएमएफ ने कहा था कि पाकिस्तान सरकार 6 अरब डॉलर का लोन अपने दोस्त मुल्कों से ले। दरअसल, इमरान खान के दबाव के कारण पाकिस्तान में अब कभी चुनाव का ऐलान हो सकता है। जनता महंगाई से कराह रही है और शहबाज सरकार को डर है कि इमरान खान भारी बहुमत हासिल कर सकते हैं। इसी वजह से उसने पेट्रोल पर राहत दी है।
Compiled: up18 News