उदयपुर हत्याकांड का पाक कनेक्शन सामने आया है। बताया जा रहा है कि कन्हैया का गला काटने वाले दोनों आरोपी पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े हुए थे। यह संगठन 100 से ज्यादा देशों में सक्रिय है और इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए कई तरह के ऑनलाइन कोर्स भी चला रहा है। इससे पहले भारत में इस इस्लामी संगठन पर धर्मांतरण के भी आरोप लग चुके हैं। ऐसी भी खबरें आई हैं कि इस संगठन द्वारा जगह-जगह पर दान पेटियां रखी जाती हैं। आरोप है इनके माध्यम से आने वाले धन को गलत गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है।
क्या है दावत-ए-इस्लामी?
दावत-ए-इस्लामी खुद को गैर राजनीतिक इस्लामी संगठन करार देता है। इसकी स्थापना 1981 में पाकिस्तान के कराची में हुई थी। मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास ने इस इस्लामिक संगठन की स्थापना की थी। भारत में यह संगठन पिछले चार दशकों से सक्रिय है। शरिया कानून का प्रचार-प्रसार करना और उसकी शिक्षा को लागू करना संगठन का उद्देश्य है। इस समय यह संगठन करीब 100 से ज्यादा देशों में अपना नेटवर्क फैला चुका है।
कौन से 32 ऑनलाइन कोर्स चला रहा?
दावत-ए-इस्लामी की अपनी खुद की वेबसाइट है। वेबसाइट के माध्यम से यह इस्लामिक संगठन कट्टर मुसलमान बनने के लिए शरिया कानून के तहत इस्लामी शिक्षाओं का ऑनलाइन प्रचार-प्रसार कर रहा है। करीब 32 तरह के इस्लामी कोर्स इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अलग-अलग तरह के कोर्स हैं। इसके अलावा यह संगठन कुरान पढ़ने और मुसलमानों को हर तरीके से शरिया कानून के लिए तैयार करता है।
जिहादी बनने की दी जाती है स्पेशल ट्रेनिंग
दावत-ए-इस्माली संगठन पर कई बार धर्मांतरण के आरोप भी लगे हैं। यह संगठन अपनी वेबसाइट पर एक न्यू मुस्लिम कोर्स भी संचालित करता है। यह कोर्स भी पूरी तरह से ऑनलाइन है। इसका उद्देश्य धर्मांतरण कर नए-नए मुसलमानों को इस्लामी शिक्षाओं से रूबरू कराना है। इस कोर्स के माध्यम से धर्मांतरण करने वालों को जिहादी बनने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।
ऑनलाइन कोर्स से जुड़े थे दोनों आरोपी
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या करने वाले दोनों आरोपी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ‘दावत-ए-इस्लामी’ नाम के संगठन से जुड़े हुए हैं। ये दोनों इस्लामी संस्था के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हुए हैं। हत्या के बाद दोनों आरोपी अजमेर दरगाह जियारत के लिए जाने वाले थे। दरअसल, यह संगठन दुनिया भर में सुन्नी कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है।
एनआईए और एसआईटी करेगी जांच
हत्या की जांच करने के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी टीम उदयपुर पहुंच गई है। इस हत्याकांड की जांच एनआईए भी करेगी। एनआईए की टीम भी आज उदयपुर पहुंचेगी। दरअसल, इस हत्याकांड के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की बात भी सामने आ रही है। नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बाद आतंकवादी संगठन अलकायदा भी धमकी दे चुका है।
दिल्ली और मुंबई में है हेडक्वार्टर
दावत-ए-इस्लामी संगठन की शुरुआत भारत में 1989 से हुई थी। तब पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। इसके बाद यह संगठन धीरे-धीरे भारत में अपनी जड़ें मजबूत करता चला गया। यहां मुंबई और दिल्ली में इस संगठन के हेडक्वार्टर हैं। इसके ज्यादातर सदस्य हरे रंग की पकड़ी बांधते हैं। अपने संदेश को प्रसारित करने के लिए इस संगठन ने मदनी चैनल भी बनाया है।
-एजेंसियां
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