हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने कराया दस्ती सम्मन तामील
पुलिस ने नहीं किया सहयोग, कहा हमें बनाओ पार्टी
आगरा: बाल गृह में निरुद्ध बालिका मेरी बेटी नहीं है। उससे बेटी की फीलिंग नहीं आती है। मेरी बेटी 2015 में लापता हुई थी जबकि यह पालनहार मां को 2014 में मिली थी। एक साल का अंतर है। यह मेरी बेटी नहीं हो सकती है। यह कहना है उस दावेदार की पत्नी का जिसने अपनी बेटी होने का दावा किया था। दस्ती सम्मन तामील कराने आए हाईकोर्ट के अधिवक्ता विपिन चंद्र पाल से नितिन गर्ग के परिजनों ने साफ इंकार कर दिया कि ये हमारी बेटी नहीं हो सकती है।
एक फूल दो माली
किन्नर से मिली लावारिस बेटी को यशोदा नौ साल से पाल रही है। 15 माह से बाल गृह में निरुद्ध है। बेटी पाने के लिए यशोदा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। ऐन वक्त पर ट्रांस यमुना कालोनी निवासी नितिन गर्ग ने भी दावा कर दिया। जिस पर हाईकोर्ट ने दावेदार तथा बालिका का डीएनए टेस्ट कराने के आदेश जारी किए हैं। गर्ग दम्पति तथा बालिका का सेंपल लिया जा चुका है।
आठ दिसंबर को होगी सुनवाई
हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रतिवादी को दस्ती सम्मन तामील कराने ट्रांस यमुना कॉलोनी गए लेकिन आसपास के लोगों ने पता बताने से इंकार कर दिया। ऐसे में अधिवक्ता ने इस मामले की हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस को बुलाया। उनके साथ पुलिस से सहयोग लेने के लिए थाना एत्माद्दौला पहुंचे। अधिवक्ता ने हाईकोर्ट का सम्मन तामील कराने को सहयोग मांगा जिस पर थाना प्रभारी ने कहा कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश कराकर लाइए तब पुलिस द्वारा सहयोग किया जाएगा। अधिवक्ता ने बताया कि किसी भी सम्मान को जारी करने के लिए पुलिस का होना आवश्यक है।
सीआरपीसी में इसका स्पष्ट उल्लेख है। उन्होंने सीआरपीसी की किताब के लिए भी कहा लेकिन थाने में सीआरपीसी की किताब नहीं मिली काफी देर जिरह करने के बाद थाने के एक सिपाही को प्रतिवादी के घर की निशानदेही के लिए भेजा गया। इसके बाद सम्मन तामील कराया गया तथा याचिका सत्यापित प्रति प्रतिवादी को दी गई। इस दौरान अधिवक्ता और उनके सहयोगी अचल कबीर के साथ नरेश पारस भी मौजूद रहे। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में आठ दिसंबर को होगी।