उदयपुर में CPA सम्मेलन के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही और उससे जुड़े मुद्दों पर हुई चर्चा

Exclusive

कार्यवाही में पारदर्शिता लाने की योजना: लोकसभा स्पीकर

इस दौरान लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि सीपीए एक नवाचार है जिसमें एक राज्य से दूसरे राज्य की संसदीय परंपराओं का आदान-प्रदान होता है। इसी के जरिए देश ने पिछले 75 सालों में बदलाव की दिशा देखी है। उन्होंने कहा कि आज तकनीक के जमाने में कई सदनों की कार्यवाही पेपर लेस हो चुकी है।

लोकसभा स्पीकर का कहना था कि आने वाले समय में सदन की कार्यवाही में पारदर्शिता लाने की योजना तैयार की जाएगी ताकि राज्य की विधानसभा में जो भी चर्चा या मुद्दे उठे वे सीधे जनता की पहुंच में हों। आज देश में कानून बन जाते हैं और उसकी जानकारी जनता को होती ही नहीं।

जनता उसके प्रभाव को पूरी तरह नही समझ पाती। उन्होंने कहा कि कानून बन जाते हैं और उनके नियम नहीं बनते ये चिंता की बात है। मेरा आग्रह है कि जो कानून पारित हो जाते हैं उनके नियम तय सीमा में बना दिए जाएं।

हर विषय पर डिबेट करें जनप्रतिनिधि

उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें इस आयोजन से जनप्रतिनिधियों के जरिए समृद्ध राष्ट्र बनाना है। कई सदनों की गिरती गरिमा भी चिंता का विषय है। जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है कि वे सदन में हर विषय पर डिबेट करे, सवाल करें।

जनप्रतिनिधि हर स्तर पर सक्षम हों, इसके लिए हम सम्मेलन करते रहते हैं। सीपीए का सम्मेलन भी इसलिए होता है और नए नवाचार साझा होते हैं। जनप्रतिनिधि वर्तमान और आने वाले 25 साल की भी चर्चा सदन में करें। नियोजित तरीके से सदन में गतिरोध पैदा करना चिंता की बात है। इन सदनों को और सार्थक और मजबूत बनाएंगे।

संसदीय व्यवस्थाओं के लिए फैसले

इस दौरान संसदीय व्यवस्थाओं के लिए कई नए फैसले लिए गए। इस दौरान सदनों को पेपरलेस बनाने पर काम शुरू होगा। वहीं जहां ये व्यवस्था नहीं है वहां जल्द इसे लागू करने के प्रयास किए जाएंगे। सभी सदनों की सारी कार्यवाही ऑनलाइन होगी। सदनों के प्रति जनता की भागीदारी बढ़ाने का काम किया जाएगा। सीपीए का एक कार्यालय संसद में भी स्थापित किया जाएगा।

सदन की मर्यादा बनाएं रखे

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि सदस्यों को सदन की मर्यादा का ख्याल रखना होगा। शब्दों की सीमा तय होनी चाहिए। ताकि सदन की गरिमा का उल्लंघन नहीं हो। उन्होंने राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने संसदीय परम्परा को कायम रखा और कई नवाचार किए हैं।

राज्यपाल ने कहा कि सदन में सदस्यों के लिए प्रश्नों के जवाब ऑनलाइन उपलब्ध होने चाहिए, ये व्यवस्था कई सदनों ने की है। इससे जनप्रतिनिधियों को भी जानकारी रखने में सुविधा होती है।

वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई है जो संसदीय व्यवस्था को मजबूत बनाएगी। वैश्विक स्तर पर भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था संसद से लेकर पंचायत तक बहुत मजबूत है।

Compiled: up18 News