कांग्रेस नेता शशि थरूर ने राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के बीच चल रही खींचतान और गहलोत की ओर से नालायक, नाकारा, निकम्मा, गद्दार, कोरोना जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर कहा कि इस स्तर पर राजनीति नहीं पहुंचनी चाहिए थी।
थरूर बोले, जब हम अपने साथियों के बारे में बोल रहे हैं तो ज़रा सोच-समझकर बोलना चाहिए। गर्व की बात है कि मुझे राजनीति में 14 साल हो गए हैं लेकिन मैंने अब तक किसी पर आक्षेप नहीं लगाया। किसी के बारे में कभी भी ऐसा कुछ कहने या उकसाने की कोशिश नहीं की। एक-दो बार मैंने कहा है कि ”मैं कीचड़ में कुश्ती नहीं करना चाहता। यह कह कर मैंने कुछ इश्यूज को अवॉइड किया।”
मैं तो दूसरी पार्टियों के नेताओं का भी ऐसे अपमान नहीं करना चाहूंगा
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने आए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं अपने साथियों से यही रिक्वेस्ट करता हूं कि अपने ही भाई-बहनों के बारे में ऐसा कहना अच्छा नहीं है। बेहतर है कि हम लोग अपने मतभेदों को मिटाने की कोशिश करें, हालांकि लोगों के अलग-अलग विचार भी हो सकते हैं लेकिन निश्चित तौर पर इसे कहने के दूसरे रास्ते हैं। निजी तौर पर भी कोई बात कही जा सकती है। मैं भी चाहूंगा कि पार्टी के अंदर हमें एक दूसरे के साथ प्रेम से रहना चाहिए। थरूर बोले, ”वास्तव में मैं तो दूसरी पार्टियों के नेताओं का भी ऐसे अपमान नहीं करना चाहूंगा।” क्योंकि हमारी राजनीति में अल्टिमेटली हर किसी को गुड फेथ होना चाहिए। सब चाहते हैं कि देश बेहतर हो जाए। हमारी आइडियोलॉजी और विश्वास को वोट मिले, तो देश बेहतर हो जाएगा। समाज की प्रगति के लिए यह जरूरी है, लेकिन इस हालत में साइलेंस को कई बार अंडर एस्टिमेट कर दिया जाता है।
क्या बीजेपी के अंदर हर व्यक्ति की एक राय है?
थरूर ने कहा कि हमारे देश में कोई भी पार्टी हो, उसके अंदर सबकी एक जैसी राय नहीं है। क्या भाजपा के अंदर हर विषय पर हर व्यक्ति की एक ही राय है ? मेरा ख्याल में लोकतंत्र में दो व्यक्तियों की राय में फर्क हो सकते हैं। अगर आपकी विचारधारा एक ही है और आप एक ही मकसद के लिए लड़ रहे हैं तो अंत में कौन लीड करेगा, वो तो पार्टी को तय करना पड़ेगा। आपको पता है कि भाजपा में कौन-कौन नेतृत्व कर रहे हैं और कांग्रेस में कौन-कौन नेतृत्व कर रहे हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि दूसरे लोग भी अपने आप को कामयाब नहीं मानते हैं, लेकिन अभी वो लोग अधिकार में नहीं हैं। मेरे ख्याल में अंदरूनी लड़ाई हर पार्टी की हकीकत है। कुछ ना कुछ, कोई ना कोई मतभेद हो जाते हैं लेकिन अंत में बड़ा प्रश्न यही है कि बीजेपी के खिलाफ तो सारे ही कांग्रेस नेता हैं। अगर हम चाहते हैं कि किसी व्यक्ति को ये जिम्मेदारी मिले या कोई और तय करता है कि किसी और को ये जिम्मेदारी दे दी जाए। ये सब बड़े इश्यूज की तुलना में बहुत छोटी चीजें हैं।
सवाल खड़े करना ज्यूडिशियरी को दबाने का संकेत नहीं
ज्यूडिशियरी पर कांग्रेस नेताओं की ओर से उठाए जा रहे सवालों पर थरूर ने कहा कि मैं सोचता हूं सवाल खड़े करना पार्टी का ज्यूडिशियरी को दबाने का संकेत नहीं है। वास्तव में हमारा मानना है कि संविधान ने ज्यूडिशियरी को स्वतंत्र और स्वायत्त स्टेटस दिया है। हम महसूस करते हैं कि सत्ता में बैठे लोगों की ओर से यह सिद्धांत नहीं अपनाया जा रहा है। वास्तव में उनके पास ज्यूडिशियरी पर प्रेशर बनाने की क्षमता है। हम ज्यूडिशियरी से मजबूत बनने की कामना करते हैं। साथ ही उन्हें याद दिलाने की कोशिश करते हैं कि जहां उसके अधिकारों की बात आती है, संविधान उसके साथ है।
रोमांस पर लिखने का समय नहीं
क्या रोमांस पर आप कुछ लिखना चाहते हैं। सवाल पर थरूर ने कहा- 20-21 साल से मैं नॉवेल नहीं लिख रहा हूं क्योंकि इतने महत्वपूर्ण विषय हमारे देश में हैं, जिनका ट्रीटमेंट किताब लिखने लायक है इसलिए मैंने उन सारे विषयों को किताबों में लिखा। मुझे रोमांस लिखने का मौका नहीं मिला। एक दिन आप मुझे राजनीति के बाहर भेज देंगे, तो शायद सब कुछ लिखने के बारे में सोच सकूंगा। वैसे भी जब मैं किताब निकालता हूं, तो कोई मुझे लिखता है और चिट्ठी आती है कि आपका अगला नॉवेल कब आने वाला है। मैं जवाब देता हूं कि अभी वक्त नहीं मिलेगा, जब मिलेगा जरूर लिखूंगा।
Compiled: up18 News
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