इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने बुधवार को फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले में लगातार तीसरे दिन सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि जिस रामायण के किरदारों की पूजा की जाती है, उसे एक मजाक की तरह कैसे दिखा दिया गया।
ऐसी फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कैसे कर दिया। फिल्म को पास कर देना एक ब्लंडर है। फिल्म मेकर्स को तो सिर्फ पैसे कमाने हैं क्योंकि पिक्चर हिट हो जाती है।
अगर आप कुरान पर एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बनाकर देखिए, जिसमें गलत चीजों को दर्शाया गया हो तो आपको पता चल जाएगा कि क्या हो सकता है। आपको कुरान, बाइबिल को भी नहीं छूना चाहिए। मैं ये क्लियर कर दूं कि किसी एक धर्म को भी टच न करिए। आप किसी धर्म के बारे में गलत तरह से मत दिखाएं।
कोर्ट किसी धर्म को नहीं मानता। कोर्ट सभी लोगों की भावनाओं की कद्र करता है। ये सिर्फ मामले से जुड़ी मौखिक टिप्पणियां हैं। अभी देखना शाम तक ये भी छप जाएगा।
बेंच ने क्या कहा, पूरा पढ़िए..
बेंच: ये मसला बहुत सेंसिटिव है, मैं जानना चाहता हूं कि डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (Dy. SGI) का इस पर क्या कहना है।
Dy. SGI: फिल्म को सर्टिफिकेट भारत सरकार द्वारा नामित 5 सदस्यों की टीम ने दिया था। कुल 25 सदस्यों ने फिल्म देखी भी थी।
बेंच: भारत सरकार का इस मसले में क्या नहीं करना है, क्या आप इसे डिफेंड कर रहे हैं। प्रोड्यूसर को तो आना ही पड़ेगा।
Dy. SGI: पिटिशनर ने इधर उधर से क्लिप लेकर केस फाइल किया है।
बेंच: वो क्लिप क्या फिल्म से जुड़े नहीं हैं? हमने फिल्म तो नहीं देखी लेकिन जिन लोगों ने फिल्म देखी, उनका कहना है कि ये फिल्म हमारी सोच से भी ज्यादा घटिया है। मसला ये है कि रामायण के किरदारों को फिल्म में ऐसा क्यों दिखाया गया है?
Dy. SGI: फिल्म को एक्सपर्ट ने देखा है, उसके बाद ही उन्होंने इसे सर्टिफाई किया है।
बेंच: क्या सेंसर बोर्ड जो सर्टिफिटेट इश्यू करता है, उसे रद्द नहीं किया जा सकता? फिल्म 16 जून को रिलीज हुई तो अब तक कुछ नहीं हुआ तो 3 दिन में क्या होगा। जो होना था वो हो चुका, और ये अच्छा है कि कुछ नहीं हुआ। मैंने कुछ लोगों से पूछा, वे फिल्म देखने के बाद काफी ज्यादा आहत थे।
अगर आज हम चुप हो गए तो पता है क्या होगा। ये सब बढ़ रहा है। कोर्ट ने यहां बिना नाम लिए आमिर खान की फिल्म पीके का जिक्र किया। कहा- एक मूवी में मैंने देखा कि भगवान शंकर जी त्रिशूल लेकर भाग रहे हैं। फनी तरीके से…अब यही सब होगा?
कल कोर्ट ने कहा था, शुक्र है उन्होंने कानून नहीं तोड़ा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा था- हिंदुओं की सहनशीलता की परीक्षा क्यों ली जाती है? शुक्र है उन्होंने (हिंदुओं ने) कानून नहीं तोड़ा। जो सज्जन हैं उन्हें दबा देना सही है क्या?
यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म के बारे में है, जिसके मानने वालों ने कोई पब्लिक ऑर्डर प्रॉब्लम क्रिएट नहीं की।
हमें उनका आभारी होना चाहिए। हमने न्यूज़ में देखा कि कुछ लोग सिनेमा हॉल (जहां फिल्म प्रदर्शित हो रही थी) गए थे और उन्होंने वहां जाकर लोगों को सिर्फ हॉल बंद करने के लिए मजबूर किया, वे कुछ और भी कर सकते थे।
कोर्ट ने कहा- ये याचिका इस बारे में है, जिस तरह से ये फिल्म बनाई गई है। कुछ धर्मग्रंथ हैं, जो पूजनीय हैं। कई लोग घर से निकलने से पहले रामचरित मानस पढ़ते हैं।
क्या डिस्क्लेमर लगाने वाले लोग देशवासियों और युवाओं को बेवकूफ समझते हैं?
बेंच ने कहा- भगवान हनुमान, भगवान राम, लक्ष्मण और सीता मां को ऐसे चित्रित किया गया जैसे कि वे कुछ हैं ही नहीं।
फिल्ममेकर्स के इस तर्क के संबंध में कि फिल्म में कहानी को लेकर एक डिस्क्लेमर जोड़ा गया था, क्या डिस्क्लेमर लगाने वाले लोग देशवासियों और युवाओं को बेवकूफ समझते हैं?
आप भगवान राम, लक्ष्मण, भगवान हनुमान, रावण, लंका दिखाते हैं और फिर कहते हैं कि यह रामायण नहीं है?
याचिकाकर्ता के वकील बोले- फिल्म में मां सीता का अपमान हुआ
याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन के वकील ने कहा था- सिनेमैटोग्राफी अधिनियम किसी भी फिल्म को सर्टिफिकेट देने से पहले सीबीएफसी से राय लेता है। फिल्म साफ-सुथरी होनी चाहिए। महिलाओं का अपमान नहीं होने देना चाहिए।
फिल्म में मां सीता का अपमान किया जा रहा है। मैंने सम्मान के कारण सीता की तस्वीरें (जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है) संलग्न नहीं की हैं। मैं ऐसा नहीं कर सकता।
वकील ने कहा, पहले भी फिल्मों में देवी-देवताओं का अपमान हुआ
दूसरे याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री के वकील ने कहा- ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। ऐसा PK, मोहल्ला अस्सी, हैदर आदि फिल्मों में भी हो चुका है। दोनों याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की कि फिल्म से विवादित सीन हटाए जाएं।
Compiled: up18 News
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