भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में आम आदमी को जोड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने दिल्ली की शराब नीति को लेकर अरविंद केजरीवाल को खत लिखा है.
पत्र लिखकर अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल को उनकी लिखी स्वराज किताब याद दिलाई है. अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने किताब में सुझाव दिया था कि शराब की दुकान खोलने का कोई लाइसेंस तभी दिया जाना चाहिए जब ग्राम सभा इसकी मंजूरी दे और ग्राम सभा की संबंधित बैठक में मौजूद 90 प्रतिशत महिलाएं इसके पक्ष में मतदान करें. ग्राम सभा में महिलाएं बहुमत से मौजूदा शराब की दुकानों का लाइसेंस भी रद्द करा सकें.
अन्ना हजारे ने कहा कि किताब में आदर्श बातें लिखने वाले अरविंद केजरीवाल ने सरकार में आते ही शराब को बढ़ावा देना शुरू कर दिया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में नई शराब नीति से वे दुखी हैं क्योंकि इससे गली-गली में शराब की दुकानें खुलवाई जा सकती हैं.
अन्ना हजारे ने पत्र में दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने गांवों में शराब की लत की जिक्र करते हुए लिखा था कि शराब के कारण भारी समस्याएं पैदा होती हैं. लोगों का पारिवारिक जीवन तबाह हो जाता है.
पत्र में उन्होंने लिखा- “जिस प्रकार शराब का नशा होता है, उस प्रकार सत्ता का भी नशा होता है. आप भी ऐसी सत्ता के नशे में डूब गए हो, ऐसा लग रहा है.”
अन्ना हजारे ने कहा कि दिल्ली में शराब नीति को देखकर ऐसा लगता है कि ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर जो पार्टी बनी, वह भी दूसरी पार्टियों के रास्तों पर ही चलने लगी है. ये बहुत ही दुख की बात है.
शराब के अलावा अन्ना हजारे ने लोकपाल और लोकायुक्त कानून को लेकर भी अरविंद केजरीवाल पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि केजरीवाल जब सरकार में नहीं थे तो बड़े बड़े मंचों से भाषणों में लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनाने की बात करते थे, लेकिन सरकार में आते ही सब कुछ भूल गए हैं.
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी में फर्क है.
-एजेंसी
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