अगले तीन दिनों में जारी हो सकती है अगला राष्‍ट्रपति चुनने के लिए अधिसूचना, पीएम मोदी फिर दे सकते हैं नाम के चयन में सरप्राइज

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देश में नए राष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव आयोग की ओर से जल्द अधिसूचना जारी हो सकती है। सूत्रों के अनुसार अगले तीन दिनों के अंदर आयोग की ओर से अधिसूचना जारी हो सकती है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का टर्म 24 जुलाई को पूरा हो रहा है।

अधिसूचना जारी होने के बाद उम्मीदवार अपने पक्ष में वोट मांगने के लिए तमाम राज्यों का दौरा भी करते हैं। इसमें आम लोगों की भागीदरी नहीं होती, बल्कि चुने हुए जनप्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं, इसलिए इसमें नए-नए समीकरण बनने-बिगड़ने की संभावना बनी रहती है।

पिछली बार 17 जुलाई 2017 को नए राष्ट्रपति का चुनाव हुआ था। तब लगभग पचास फीसदी वोट एनडीए के पक्ष में थे, साथ ही क्षेत्रीय दलों में भी अधिकतर दलों का समर्थन मिल गया था। इस बार भी कुछ क्षेत्रीय दलों की मदद से एनडीए अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुनने के करीब है। हालांकि अभी कुछ दिनों में होने वाले राज्यसभा चुनाव के बाद इसकी पूरी तस्वीर साफ होगी।

राष्ट्रपति चुनाव में वोटों का गणित, MP के वोट का वैल्यू

सांसदों के मतों के वैल्यू का गणित अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभा के विधायकों के वोटों का वैल्यू जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वैल्यू को राज्यसभा और लोकसभा के कुल मेंबर की कुल संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट की वैल्यू होती है।

-देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक इसमें वोट देते हैं।
– 776 सांसद हैं लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर
-708 होती है हर सांसद के वोट की वैल्यू
– 4120 हैं देश के सभी राज्यों के कुल विधायक
-5,49,408 हैं सांसदों के कुल वोट की वैल्यू
-5,49,474 हैं विधायकों के कुल वोट
-549441 वोट चाहिए राष्ट्रपति बनने के लिए

MLA के वोट की वैल्यू

विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो, उसकी आबादी देखी जाती है। इसके साथ उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है। वैल्यू निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को कुल MLA की संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट की वैल्यू होती है।

सिंगल ट्रांसफरेबल वोट

इस चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं। यानी वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह तमाम कैंडिडेट्स में से अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है। यानी वह बैलेट पेपर पर बता देता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन। यदि पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका, तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है इसलिए इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है।

वोटों की गिनती

प्रेसीडेंट के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। प्रेसीडेंट वही बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे। इस समय प्रेसीडेंट इलेक्शन के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 1098882 है। जीत के लिए कैंडिडेट को हासिल करने होंगे 549441 वोट।

चार बार से वाइस प्रेसीडेंट से प्रेसीडेंट नहीं

पिछले चार बार से वाइस प्रेसीडेंट को प्रेसीडेंट बनाने की परंपरा टूट गई है। कृष्णकांत और भैरों सिंह शेखावत को वाइस प्रेसीडेंट पद से प्रेसीडेंट बनने का मौका नहीं मिला। उनके बदले एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल प्रेसीडेंट बने। 2 बार वाइस प्रेसीडेंट रहे हामिद अंसारी को दोनों बार प्रेसीडेंट बनने का मौका नहीं मिला।

फिर सरप्राइज दे सकते हैं पीएम मोदी

राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए BJP और RSS के बीच चार नामों को लेकर सबसे अधिक चर्चा है। इनमें यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू। हालांकि PM नरेंद्र मोदी आखिरी मौके पर नया नाम लाकर सबको चौंका भी सकते हैं, जैसा कि अक्सर देखने को मिलता है।

दरअसल, PM नरेंद्र मोदी की कार्यशैली ही हमेशा सबको चौंकाने वाली रही है। जिस व्यक्ति की कहीं कोई चर्चा नहीं होती, उसे लेकर मोदी आते हैं।

-एजेंसियां


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