बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया है. 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने माफ़ी योजना के तहत इन 11 दोषियों को रिहा कर दिया था.
गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को लेकर गुजरात सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सवाल ये है कि गुजरात सरकार के अंतर्गत क्या इन दोषियों को माफ़ी दी जा सकती है या नहीं. हमें ये भी देखना है कि क्या इन्हें माफ़ी देते समय सोच-विचार किया गया या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 11 दोषियों को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया.
इस मामले में नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई दो सप्ताह बाद करने का फ़ैसला किया.
मुख्य न्यायाधीश एवी रमन्ना की खंडपीठ ने कहा, हम गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर रहे हैं. हम उनसे जवाब मांग रहे हैं. दो सप्ताह बाद इस पर सुनवाई होगी.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने अदालत से मांग की कि दोषियों की रिहाई तुरंत रद्द होनी चाहिए और गुजरात सरकार के फ़ैसले को खारिज कर देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे और मुसलमानों का पलायन भी हुआ था. कपिल सिब्बल ने कहा कि एक गर्भवती महिला के गैंगरेप के दोषियों को माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए थी.
विपक्ष की कई पार्टियों ने इस मामले में गुजरात सरकार को घेरा है. सुप्रीम कोर्ट में इन 11 दोषियों की रिहाई के ख़िलाफ़ कई लोगों ने याचिका दाखिल की थी. इनमें वामपंथी नेता सुभासिनी अली और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं.
तीन मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के 14 सदस्यों को मार दिया गया था. मृतकों में बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी.
इस मामले की जाँच सीबीआई ने की थी जिसके बाद 2008 में बॉम्बे सत्र अदालत ने 11 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी. 15 अगस्त 2022 को गोधरा जेल में सज़ा काट रहे इन 11 क़ैदियों को गुजरात सरकार की सज़ा माफ़ी की नीति के तहत रिहा कर दिया गया था.
-एजेंसी
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