हाल ही में मृणाल ठाकुर की फिल्म ‘आंख मिचौली’ रिलीज हुई थी। मूवी को जैसा भी रिस्पॉन्स मिला हो लेकिन अब ये कानूनी पचड़े में फंस गई हैं। इसके खिलाफ दिव्यांगजनों के विशेष कोर्ट जिसे CCPD भी कहते हैं, उसने प्रोड्यूसर्स और सेंसर बोर्ड को एक नोटिस जारी कर दिया है। आरोप है कि मेकर्स ने फिल्म में डिसेबिलिटीज का मजाक उड़ाया है। इसी पर कोर्ट ने जवाब मांगा है।
फिल्म ‘आंख मिचौली’ में परेश रावल, अभिमन्यु दसानी, मृणाल ठाकुर, दिव्या दत्ता, शरमन जोशी, अभिषेक बनर्जी जैसे तमाम कलाकार हैं। 3 नवंबर को रिलीज हुई फिल्म को उमेश शुक्ला ने डायरेक्ट किया है। इसमें एक्ट्रेस को शाम ढलने के बाद दिखना बंद हो जाता है। आंखों की रोशनी चली जाती है। अब इसके घरवाले इनके लिए एक बढ़िया लड़का ढूंढते हैं। वहीं, इनके पिता के रोल में परेश हैं जिनको भूलने की बीमारी हैं। अभिषेक को हकलाने की बीमारी होती है।
‘आंख मिचौली’ के मेकर्स को नोटिस
‘आंख मिचौली’ एक कॉमेडी फैमिली मूवी है। इसके डायरेक्टर उमेश शुक्ला, जिन्होंने ‘102 नॉट आउट’ और OMG जैसी फिल्में बनाई हैं। इस संबंध में डिसेबिलिटी के डिप्टी चीफ कमिश्नर पीपी अबंष्ट ने 11 नवंबर को नोटिस जारी किया था। साथ ही सेंसर बोर्ड और सूचना-प्रसारण मंत्री के सचिव से भी इसमें जवाब मांगा गया है।
नोटिस में है सजा का प्रावधान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नोटिस में कहा गया है कि ये मूवी दिव्यांगजनों के 2016 के अधिकार अधिनियम के तहत उनका मजाक उड़ाती है। मेकर्स ने कंटेंट के तौर पर बोलने, सुनने, देखने और मेंटली डिसेबिलिटी का मजाक उड़ाया है जो कि एक दंडनीय अपराध है। साथ ही कहा गया है कि इस एक्ट के सेक्शन 92 में कोई भी किसी पब्लिक प्लेस पर दिव्यांग का अपमान करता है तो उसे सजा दी जाएगी, जो कि 6 महीने से 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है।
Compiled: up18 News
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