महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने स्वीकार किया है कि शिवसेना का भविष्य खतरे में है। यही नहीं उन्होंने गुरुवार को दावा किया कि देश में लोकतंत्र का भविष्य भी खतरे में है। बालासाहेब ठाकरे अपने पिता दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना की विरासत को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
ठाकरे मुंबई के दादर क्षेत्र में शिवसेना भवन में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने पूर्व मंत्री संजय देशमुख को अपने खेमे में शामिल किया। इस मौके पर ठाकरे ने कहा कि शिवसेना में टूट हो जाने और पार्टी के खत्म हो जाने के दावों के बावजूद लोग अब भी उनके पास आ रहे हैं।
उद्धव ठाकरे की लीडरशिप वाली महा विकास आघाड़ी सरकार इस साल जून में वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बाद गिर गई थी। बाद में शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए।
ठाकरे ने कहा, ‘जो कुछ हुआ, उससे आम आदमी और विशेष कर सभ्य लोग सहमत नहीं हैं और वे अपना समर्थन हमें दे रहे हैं। वे मुझसे कह रहे हैं कि हार नहीं मानें, संघर्ष करें, हम आपके साथ हैं। जो हो रहा है, हम उससे सहमत नहीं हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों के बारे में मैंने सोचा था कि वे कभी राजनीतिक रूप से करीबी नहीं होंगे, वे समर्थन में आगे आ रहे हैं। इसी तरह विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों के लोग हमें समर्थन दे रहे हैं। सिर्फ शिवसेना का नहीं बल्कि देश में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में है।’
ठाकरे गुट में शामिल हुए देशमुख यवतमाल के दिगरास क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हैं। वह पहले शिवसेना में थे और उसके बाद 2002 से 2004 के बीच कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार में मंत्री रहे। वह कुछ समय के लिए भाजपा में भी थे। गौरतलब है कि चुनाव आयोग की ओर से अब उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट को अस्थायी तौर पर नाम और सिंबल भी आवंटित कर दिए गए हैं।
एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी को बालासाहेब की शिवसेना नाम दिया गया है। इसके अलावा उद्धव की लीडरशिप वाले दल को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम मिला है। इसके अलावा उद्धव ठाकरे गुट को मशाल सिंबल मिला है।
-एजेंसी
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