नीतीश कुमार के प्रयास से पटना में शुक्रवार को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से पहले सिर फुटौव्वल की खबरें भी आने लगी है। बैठक से पहले एक ओर जहां जेडीयू के केसी त्यागी ने सभी दलों से बड़ा दिल दिखाने और कुर्बानी दिखाने की अपील की है वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों में अहम चेहरा ममता बनर्जी ने बैठक से एक दिन पहले अपने ताजा बयान से दलों की एकता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
बैठक बुलाने वाली ममता ने ही खड़ा किया बखेड़ा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुझाव पर ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डेप्युटी तेजस्वी यादव पटना में विपक्षी एकता की बैठक आयोजित कर रहे हैं। अब ममता बनर्जी ने ही बैठक से पहले ऐसी बात कह दी है जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता कैसे कायम होगी। ममता बनर्जी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ गठबंधन के कारण वह राज्य में कांग्रेस को समर्थन नहीं दे पाएंगी।
इतना ही नहीं, ममता बनर्जी के बयान के जवाब में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस के लिए तृणमूल कांग्रेस बीजेपी की तरह बराबर की प्रतिद्वंद्वी बनी रहेगी। उन्होंने यह भी संदेह व्यक्त किया था कि बीजेपी, विपक्षी गठबंधन के भीतर कुछ ट्रोजन हॉर्स भेजने की कोशिश कर रही है। चौधरी के संदेह को पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती और राज्य सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्य जैसे वरिष्ठ माकपा नेताओं ने भी दोहराया।
लालू कराएंगे ममता और कांग्रेस की सुलह?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात कर सकती हैं। सूत्र बताते हैं कि ममता इसलिए एक दिन पहले पटना आ रही हैं ताकि वह फुर्सत में लालू यादव से बात कर सकें। लालू और ममता की मीटिंग खास माना जा रही है। माना जा रहा है कि ममता और कांग्रेस के बीच समझौता कराने में लालू यादव अहम रोल निभा सकते हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि चूंकि कांग्रेस भी बैठक में मौजूद होगी, इसलिए संभावना है कि देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी का कोई प्रतिनिधि इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के रुख पर कुछ स्पष्टीकरण मांग सकता है। उस स्थिति में पर्यवेक्षकों का मानना है कि लालू प्रसाद एक अनुभवी राजनीतिज्ञ होने के नाते और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बेहद अच्छे संबंध होने के कारण मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकते हैं।
अखिलेश, केजरीवाल की शर्त भी बनेगी मुश्किल
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से विपक्षी एकता की मजबूत दीवार खड़ी करने के लिए कल पटना में बुलाई गई बैठक से पहले कई नेताओं के बयान सवाल खड़े कर रहे हैं। ममता बनर्जी, केजरीवाल, अखिलेश जैसे नेता कांग्रेस के लिए शर्तें खड़ी करते दिख रहे हैं। बिहार में नीतीश और तेजस्वी के गठबंधन को झटका देते हुए कल ही जीतनराम मांझी ने अमित शाह से मिलकर एनडीए का हाथ पकड़ लिया है। इस सबकी वजह से बीजेपी अपनी राह में परेशानी पैदा होती नहीं मान रही है।
अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि कांग्रेस जैसे दल उत्तर प्रदेश से दूर रहें। हालांकि, एसपी सहयोगी आरएलडी के जयंत चौधरी ने कहा है कि कांग्रेस के साथ के बिना विपक्षी एकता संभव नहीं है। कांग्रेस की तरफ से इस सब पर पलट बयान भी आए हैं।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में सेवाओं पर अधिकार के मामले में केंद्र सरकार के अध्यादेश पर सभी दलों से रुख साफ करने को कहा है। केजरीवाल इस मसले पर कई विपक्षी नेताओं से उनके यहां जाकर मिले भी हैं, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने करीब डेढ़ महीने बाद भी केजरीवाल को मिलने का समय नहीं दिया। केजरीवाल ने मामले पर विपक्षी दलों को पत्र लिखकर भी पटना में रुख साफ करने की मांग की है।
जेडीयू ने बड़ा दिल दिखाने की अपील की
विपक्षी नेताओं के इन बयानों के बीच जेडीयू ने अपील की है कि तमाम विपक्षी दल सारे शिकवे शिकायत को भूलकर एक हो जाएं, तभी 2024 में बीजेपी के लिए चुनौती पेश की जा सकती है। जेडीयू के नेता केसी त्यागी का बयान आया है कि विपक्षी एकता की बैठक 2024 में बीजेपी को रोकने के लिए है लेकिन बीजेपी में कहा जा रहा है कि विपक्ष की बिन बनी दीवार में ही इतने सुराख दिख रहे हैं, तो मोदी को कौन रोक सकता है? इस सबके बीच कल पटना के सम्मेलन में नेताओं के बयान और उसके बाद यदि जारी हुआ, तो साझा बयान पर सियासी नजरें लगी हैं।
Compiled: up18 News
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