नेहरू ने हमें राजनीति ही नहीं सिखाई, उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना भी सिखाया: राहुल गांधी

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नई दिल्ली। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हमें राजनीति नहीं सिखाई। उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया। उन्होंने भारतीयों को उत्पीड़न का विरोध करने और अंततः स्वतंत्रता का दावा करने का साहस दिया। उनकी सबसे बड़ी विरासत सत्य की उनकी अथक खोज में निहित है। एक सिद्धांत जिसने उनके द्वारा समर्थित हर चीज को आकार दिया। यह बात लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक इंटरव्यू में कही।

यह बातचीत पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के साथ पॉडकास्ट-शैली में की गई है। इसमें राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें सत्ता नहीं बल्कि सत्य की खोज ज्यादा प्रेरित करती है।

उन्होंने पारिवारिक कहानियों, व्यक्तिगत प्रथाओं और नेहरू, महात्मा गांधी, डॉ भीमराव आंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं की स्थायी विरासत पर विचार किया। राहुल गांधी ने कहा कि संदीप दीक्षित के साथ इस पॉडकास्ट-शैली की बातचीत में मैं इस बारे में बात करता हूं कि मुझे क्या प्रेरित करता है- सत्य की खोज और यह खोज मेरे परदादा जवाहरलाल नेहरू से कैसे प्रेरित है। वह केवल एक राजनेता नहीं थे। वह एक साधक, एक विचारक, एक ऐसा व्यक्ति था जो खतरे में मुस्कुराते हुए आगे बढ़ा और मजबूत होकर निकला। उनकी सबसे बड़ी विरासत सत्य की उनकी अथक खोज में निहित है- एक सिद्धांत, जिसने उनके द्वारा अपनाई गई हर चीज को आकार दिया।

उन्होंने हमें राजनीति नहीं सिखाई, उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया। खोज करने, सवाल करने, जिज्ञासा में निहित रहने की जरूरत, यह मेरे खून में है। नेहरू का जिक्र करते हुए राहुल कहते हैं कि मेरी दादी उन्हें पापा कहती थीं। उन्होंने मुझे कहानियां सुनाईं कि कैसे वह अपने पसंदीदा पहाड़ों में एक ग्लेशियर में लगभग गिर गए थे, कैसे जानवर हमेशा हमारे परिवार का हिस्सा थे या कैसे उन्होंने कभी भी व्यायाम का एक घंटा भी नहीं छोड़ा। मेरी मां अभी भी बगीचे में पक्षियों को देखती हैं। मैं जूडो करता हूं। ये सिर्फ़ शौक नहीं हैं- ये हमारी पहचान है। हम निरीक्षण करते हैं।

हम अपने आस-पास की दुनिया से जुड़े रहते हैं। और जो हम सबसे गहराई से रखते हैं, वह है शांत शक्ति के साथ चुनौतियों का सामना करने की प्रवृत्ति। राहुल गांधी कहते हैं कि यही वह है, जो गांधी, नेहरू, आंबेडकर, पटेल और बोस वास्तव में सिखा रहे थेः डर से दोस्ती कैसे करें। समाजवाद नहीं, राजनीति नहीं- सिर्फ़ साहस। गांधी एक ऐसे साम्राज्य के सामने खड़े हुए, जिसके पास सिर्फ़ सच्चाई थी। नेहरू ने भारतीयों को उत्पीड़न का विरोध करने और अंततः स्वतंत्रता प्राप्त करने का साहस दिया।

कोई भी महान मानवीय प्रयास- विज्ञान, कला, प्रतिरोध – यह सब भय का सामना करने से शुरू होता है। और यदि आप अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो सत्य ही आपका एकमात्र हथियार है। चाहे उनके साथ कुछ भी किया गया हो, वे इससे पीछे नहीं हटे। यही बात उन्हें महान नेता बनाती है। राहुल ने कहा कि चाहे मैं बिल गेट्स से बात कर रहा हूं या चेतराम मोची से, मैं उनसे एक ही जिज्ञासा के साथ मिलता हूं। क्योंकि वास्तविक नेतृत्व नियंत्रण के बारे में नहीं है। यह करुणा के बारे में है। और आज के भारत में जहां सत्य असुविधाजनक है, मैंने अपना चुनाव कर लिया है। मैं इसके लिए खड़ा रहूंगा। चाहे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।

‘आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं’ मैं झूठ नहीं बोल सकता, चाहे मुझे नुकसान ही क्यों न हो?

राहुल गांधी ने यह भी माना कि आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि आज लोग सच नहीं सुनना चाहते। राजनीति में यह आसान है कि जो लोग सुनना चाहते हैं, वही बता दो लेकिन मेरी आत्मा ऐसा करने की इजाज़त नहीं देती। मैं झूठ नहीं बोल सकता, चाहे मुझे नुकसान ही क्यों न हो। उन्होंने महात्मा गांधी और नेहरू के विचारों की तुलना करते हुए कहा कि गांधी जी अपने अंदर झांकते थे और नेहरू जी दुनिया और भविष्य को समझना चाहते थे। दोनों में गहराई थी पर सोचने का तरीका अलग था।

अमेरिकी टैरिफ शुल्क के आगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झुक गए, जबकि नेहरू और इंदिरा ऐसी परिस्थिति में कभी नहीं झुकते

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने इस संवाद के दौरान अमेरिकी टैरिफ शुल्क से जुड़े विषय का भी उल्लेख किया और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झुक गए, जबकि नेहरू और इंदिरा ऐसी परिस्थिति में कभी नहीं झुकते। उन्होंने अपने परिवार के राजनीतिक दर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति वास्तव में सत्य के लिए होती है।

उन्होंने दावा किया कि आज देश में भयंकर बेरोजगारी है। देश का पूरा आर्थिक तंत्र विफल हो चुका है। देश में सद्भाव का अभाव है। यह सच्चाई है और इसे आपको स्वीकार करना पड़ेगा। राहुल गांधी का कहना था कि इस स्थिति से भारत के भविष्य को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि गांधी, नेहरू, आंबेडकर, पटेल और बोस ने वास्तव में यही सिखाया कि डर से दोस्ती कैसे करें? राहुल गांधी ने कहा, कि महात्मा गांधी एक साम्राज्य के सामने खड़े हुए और उनके पास सच्चाई के अलावा कुछ नहीं था। उन्होंने कहा, कि चाहे मैं बिल गेट्स से बात करूं या रामचेत मोची से, मैं उनसे समान जिज्ञासा के साथ मिलता हूं।

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