मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के माओवादी हिंसा से पीड़ित परिवार वालें अपने अधिकारों और शांति की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर “केंजा नक्सली-मनवा माटा” (सुनो नक्सली हमारी बात) आंदोलन करने पहुंचे है। इसी कड़ी में आज शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के माओवादी हिंसा के पीड़ित परिवारों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
राष्ट्रपति ने पीड़ितों से मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर साझा करते हुए स्वयं यह जानकारी दी। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी उद्देश्य हिंसा के रास्ते पर चलने को उचित नहीं ठहरा सकता, क्योंकि यह समाज के लिए बहुत महंगा साबित होता है।
हिंसा से त्रस्त दुनिया में हमें शांति का प्रयास करना चाहिए: राष्ट्रपति
वामपंथी उग्रवादियों को हिंसा का त्याग करना चाहिए, मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए और वे जो भी समस्याएं उजागर करना चाहते हैं, उन्हें हल करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। यही लोकतंत्र का रास्ता है और यही रास्ता महात्मा गांधी ने हमें दिखाया था। हिंसा से त्रस्त इस दुनिया में हमें शांति के रास्ते पर चलने का प्रयास करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के नक्सली हिंसा पीड़ितों का एक समूह इन दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आया हुआ है। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर इस समूह से मुलाकात की थी। इनमें बस्तर शांति समिति के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के नक्सली हिंसा से प्रभावित 55 लोग शामिल थे।
गौरतलब है कि इससे पहले नक्सल पीड़ितों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उस दौरान शाह ने कहा था कि मोदी सरकार ने बस्तर के 4 जिलों को छोड़कर पूरे देश में नक्सलवाद को खत्म करने में सफल रही है। वहीं देश से नक्सलवाद को अंतिम विदाई देने के लिए 31 मार्च 2026 की तारीख तय की गई है। गृह मंत्री ने नक्सलवाद को खत्म करने के साथ-साथ नक्सलियों से आत्मसमर्पण कर अपने हथियार को छोड़ने की अपील की थी।
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