आगरा के जिला अस्पताल में एक एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) जिला अस्पताल प्रशासन के साथ-साथ चिकित्सकों पर पूरी तरह से भारी पड़ रहा है। वह यूपी सरकार के एक मंत्री को अपने आप को रिश्तेदार बताता है। जिसका प्रभाव जिला अस्पताल के एडमिनिस्ट्रेशन पर दिखाई दे रहा है।
जानकारी के मुताबिक कई बार जिला अस्पताल प्रशासन ने इसकी शिकायत भी की है। उन्हें दोपहर के बाद जिला अस्पताल में आने की हिदायत दी है लेकिन जब-जब इस तरह की हिदायत उस एमआर को मिली तो उस बीच एक फोन आ जाता है जिसके बाद जिला अस्पताल प्रशासन भी अपने आप को ठंडा कर लेता है।
एमआर बताता है मंत्री का रिश्तेदार
आगरा के जिला अस्पताल में इस समय से एक ही एमआर का बोलबाला है। जानकारी के मुताबिक इस एमआर को राजनीतिक संरक्षण पूरी तरह से मिला हुआ है। सूत्रों की माने तो ये एमआर खुद को योगी सरकार के एक मंत्री का रिश्तेदार बताता है। इसकी चर्चा जिला अस्पताल में भी लगातार होती रहती है। आलम यह है कि चिकित्सक की अनुपस्थिति में यह एमआर खुद डॉक्टर बन जाते हैं और मरीजों का इलाज करते हैं।
मरीजों का इलाज करने के पीछे इनका सिर्फ एक ही मकसद होता है कि वह जिस फार्मेसी कंपनी से जुड़े हैं उसकी दवा अधिक से अधिक मरीजों को लिखी जाए ताकि उसकी बिक्री बढ़ सके। हालांकि सरकार की ओर से यह निर्देश है कि जिला अस्पताल के चिकित्सक जिला अस्पताल में उपलब्ध दवाइयां ही मरीज को देंगे। वह बाहर से दवाइयों को नहीं लिखेंगे लेकिन यह एमआर अपनी फार्मेसी की दवा मरीजों को लिखते रहते हैं जिससे मरीजों को महंगी दवा खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सीएमओ ने कल मारा था छापा
एमआर और बाहरी व्यक्तियों द्वारा चिकित्सकों के चेंबर में बैठकर मरीजों के इलाज करने की शिकायत पर सीएमओ आगरा ने गुरुवार को छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया था। यह शिकायत भी डीएम आगरा के पास पहुँची थी जिसके बाद उन्होंने सीएमओ को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सीएमओ गुपचुप तरीके से जिला अस्पताल पहुंचे थे लेकिन उन्हें ओपीडी में एमआर नहीं मिला लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जिला अस्पताल प्रशासन को सख्त निर्देश दिए थे जिसके बाद ही आगरा के जिला अस्पताल प्रशासन ने पूरे जिला अस्पताल में एमआर से 2 बजे के बाद मिलें और बाहरी व्यक्ति ओपीडी के बाहर ना बैठे, इसके पंपलेट लगवा दिए हैं।
सीएमएस ने दिया गोलमोल जवाब
एक एमआर जिला अस्पताल प्रशासन पर पूरी तरह से भारी है। जब इस बात को लेकर सीएमएस डॉ ए के अग्रवाल से वार्ता हुई तो उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ असामाजिक तत्व है जो इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं। उन्हें भी उनके बारे में सही रिपोर्ट या जानकारी नहीं है। जब उनसे इस दबंग एमआर के बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने इस पर गोलमोल जवाब दिया।
हालांकि खुलकर वह एमआर के बारे में नहीं बोले लेकिन जब अन्य लोगों से वार्ता हुई तो उन्होंने कहा कि उस एमआर का जिला अस्पताल में राजनीतिक प्रभाव अधिक है जिसके चलते उसके बारे में कोई भी बात नहीं करेगा।
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