अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने, राज्य में मिट्टी के संरक्षण के लिए ईशा आउटरीच के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, और इस तरह गुजरात आधिकारिक तौर पर मिट्टी बचाने के वैश्विक अभियान से जुड़ने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल और ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु की मौजूदगी में MoU पर हस्ताक्षर हुए। अहमदाबाद में हुए इस कार्यक्रम में कई केबिनेट मंत्री और जलवायु परिवर्तन विभाग के कई सरकारी अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने हमारे जीवन संरक्षण के लिए मिट्टी के महत्व के बारे में बोला और विश्वास दिलाया कि ‘मिट्टी और इस धरती पर हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी दूसरे सारे सूक्ष्मजीवों के संरक्षण के लिए गुजरात राज्य अगुआई करेगा।’
गुजरात, MoU पर हस्ताक्षर करने वाला पहला भारतीय राज्य बनने पर सद्गुरु ने खुशी जताई और यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व के 26 देशों की यात्रा करने के बाद, उनके लौटने पर राज्य में मिलने वाले रेस्पांस की सराहना की। MoU को समझाते हुए उन्होंने कहा, ‘हैडबुक में सरल सिद्धांत हैं जिनके साथ सरकार नीति बना सकती है।’ आम तौर पर सरकार को अवधारणा बनानी होती है और तब नीति बनानी होती है लेकिन, ‘हमने अवधारणा बना दी है ताकि सरकार शीघ्रता से नीति बना सकती है,’ उन्होंने आगे कहा।
इससे पहले, सद्गुरु चैम्बर ऑफ कामर्स और उद्योग नेताओं से मिले थे। मीडिया से MoU पर हस्ताक्षर करने के दूसरे पहलू पर बात करते हुए उन्होंने उद्योग से ‘किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट योजना बनाने’ की अपील दोहराई और इसे अपनी एक जिम्मेदारी की तरह लेने को कहा। उन्होंने कहा, ‘दक्षिण भारत में, हमने 1,30,000 किसानों के साथ काम किया है, लेकिन पिछले सात साल से हम उनके लिए कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने की बड़ी कोशिश कर रहे हैं। यह लगभग असंभव है क्योंकि कार्बन क्रेडिट योजना मुख्य रूप से उद्योग के लिए बनाई जाती है, जो किसानों के अनुकूल नहीं होती। किसान इसे नहीं प्राप्त कर पाते। हालांकि वे जबरदस्त मात्रा में कार्बन प्रथक कर सकते हैं, लेकिन उनको कार्बन क्रेडिट नहीं मिल पाता।’
ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक सद्गुरु ने यूएन संगठनों द्वारा बताई गई ‘मिट्टी विलुप्त होने’ की घटना को रोकने के लिए, इस अभियान को इस साल मार्च में शुरू किया था। दुनिया भर में उपजाऊ मिट्टी का नष्ट होना मानव प्रजाति के अस्तित्व लिए खतरा बन गया है। सद्गुरु फिलहाल अकेले मोटरसाइकिल पर यूरोप, मघ्य-एशिया, और मघ्य-पूर्व से होते हुए 100-दिन की 30,000 किमी की यात्रा कर रहे हैं। इसका मकसद मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए दुनिया भर में तत्काल नीतिगत कार्यवाही के लिए सर्वसम्मति बनाना है।
दुनिया भर में उपजाऊ मिट्टी के तेजी से खराब होने के कारण यह अभियान शुरू किया गया है, जिससे वैश्विक खाद्य और जल सुरक्षा पर स्पष्ट वर्तमान खतरा बना हुआ है। भारत में, लगभग 30 प्रतिशत उपजाऊ मिट्टी बंजर हो गई है और उपज देने में नाकाबिल है।
मिट्टी बचाओ अभियान का मुख्य मकसद सारे देशों पर जोर डालना है कि तत्काल नीति सुधारों के जरिए कृषि-भूमि में कम से कम 3-6 प्रतिशत तैविक तत्व का होना जरूरी बनाया जाए। मृदा वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस न्यूनतम जैवित तत्व के बिना मिट्टी की मृत्यु निश्चित है। इस मकसद को हासिल करने के लिए अभियान का लक्ष्य, मिट्टी को बचाने के लिए दुनिया में 3.5 अरब लोगों के समर्थन को दर्शाना है, जो दुनिया के मतदाताओं का 60 प्रतिशत है। इससे मिट्टी के विलुप्त होने को रोकने के लिए सरकारों को कार्यवाही करने की ताकत मिलेगी।
मिट्टी बचाओ अभियान को यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन (UNCCD), यूनाइटेड नेशंस पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), यूएन वर्ल्ड खाद्य कार्यक्रम, और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (ICUN) का समर्थन प्राप्त है। 21 मार्च को जब से सद्गुरु ने लंदन से अपनी अकेली मोटरसाइकिल यात्रा शुरू की है, तब से दुनिया के 74 देशों ने अपने देशों में मिट्टी बचाने के लिए ठोस कार्यवाही करने का प्रण किया है।
दुनिया के बहुत से प्रभावशाली लोगों ने, जिनमें कृषि विशेषज्ञ, संरक्षणकर्ता, मृदा विज्ञानी, राजनीतिक, बिज़नेस, सांस्कृतिक, और पर्यावरण नेता शामिल हैं, और उनके अलावा लोकप्रिय हस्तियों, और नागरिकों ने अभियान के लिए अपना समर्थन देने की शपथ ली है।
-एजेंसी
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