होली के मौके पर केंद्र सरकार ने किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। नैनो यूरिया के बाद सरकार ने नैनो DAP को मंजूरी प्रदान की है। यानि की नैनो डाइ अमोनियम फास्फेट को हरी झंड़ी दिखाई है। इस प्रकार उर्वरक में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नैनो DAP बोरी में नहीं पर एक बोरी जितना नैनो DAP एक बोतल में मिलेगा।
केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर्स मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को ट्वीट पर लिखा, उर्वरक में आत्मनिर्भरता की तरफ एक ओर बड़ी उपलब्धि! भारत सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो DAP को भी मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन आत्मनिर्भर भारत के तहत यह सफलता किसानों को अत्यधिक लाभ देने वाली है। अब एक बैग DAP भी, एक बोतल DAP के रूप में मिलेगी।
केंद्र सरकार, नैनो पोटाश, नैनो जिंक और नैनो कॉपर उर्वरकों पर भी काम कर रही है। कंपनी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोओपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) इसका निर्माण कर रही है। नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के लिए IFFCO को 20 साल का पेटेंट मिला है।
नैनो DAP क्या है?
नैनो डीएपी आखिरकार क्या है? इस बात को लेकर किसानों और जनता में बहुत जिज्ञासा है। तो नैनो डीएपी क्या है जानें।
नैनो यूरिया की तरह ही नैनो डीएपी लिक्विड अवस्था में मिलेगी। अभी तक तो DAP पाउडर-गोलियों के तौर पर पीले रंग की बोरी में मिलती थी। पर अब यह एक बोतल में किसानों को उपलब्ध होगी।
पौधों की जड़ों का होता है अच्छा विकास
डीएपी एक फॉस्फेटिक यानी रसायनिक खाद है। यह पौधों में पोषण, नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करता है। इस DAP में 18 फीसद नाइट्रोजन और 46 फीसद फास्फोरस होता है। इसके प्रयोग से पौधों की जड़ों में अच्छा विकास होता है। एक तरह से देखा जाए तो यह उर्वरक भी फसल की उत्पादकता को बढ़ाने में अहम रोल अदा करता है।
प्रति एकड़ 250 मिलीग्राम नैनो डीएपी लाभकारी
नैनो डीएपी फसल का दो बार उपयोग कर सकते हैं। प्रथम बार इसका प्रयोग बीज शोधन अर्थात धान की रोपाई के पूर्व नैनो डीएपी के घोल में धान की नर्सरी के जड़ को भिगोने के बाद उसकी रोपाई की जाए। इसके बाद 25 से 30 दिनों के अंतराल में नैनो डीएपी के घोल का छिड़काव किया जाए। प्रति एकड़ परिक्षेत्र में 250 मिलीग्राम नैनो डीएपी लाभकारी है।
Compiled: up18 News