यूक्रेन में अभी भी भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। छात्रों को लेने पोलैंड गए मोदी सरकार के मंत्री वी के सिंह से जब सवाल किया गया की बचे हुए छात्रों को कब तक निकाल जाएगा तो उन्होंने कहा “मेरे पास खारकीव से एक छात्र का फ़ोन आया वह वहाँ फ़सा था। उसके साथ कई और भारतीय भी वहाँ फंसे थे, मैंने कहा खारकीव से निकलने का एक अल्टीमेटम दिया गया था। अब उसकी समय की म्याद पूरी हो चुकी है, अभी भी काफी बच्चे वहां से ट्रेन और बसों से निकल कर आ रहे है। जो छात्र अभी भी वहाँ फंसे वो खारकीव से थोड़ा दक्षिण की तरफ से हो कर लीवीव तक आ जाये और लिविवि अगर पहुंच गए तो वहां से हम आपको को पोलैंड बॉर्डर पर रिसीव कर लेंगे।”
हद दर्जे के नालायक बच्चे हैं। थोड़ा लम्बा रास्ता लेकर पैदल-पैदल हिन्दुस्तान क्यों नहीं आ जाते? प्रवासी मजदूरों से भी गये गुजरे हैं क्या?pic.twitter.com/9FpPei95Sh
— MANJUL (@MANJULtoons) March 4, 2022
बता दें कि इस समय खारकीव सबसे अधिक युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। वहाँ पर कम से कम 3000 भारतीय छात्रों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। एक मार्च को भारतीय एम्बेसी ने एडवाजरी जारी कर भारतीय नागरिको को खारकीव छोड़ने की सलाह दी थी। लेकिन भारतीय छात्रों का आरोप है कि उनको एम्बेसी की तरफ से किसी भी प्रकार के यातयात साधन नहीं मुहैया करवाया गया। छात्रों को न तो ट्रेन में चढ़ने दिया गया और ना ही बस मिल पाई जिस वजह से वो लोग खारकीव से नहीं निकल पाए और वही पर फंसे रह गए।
भाजपा मंत्री वीके सिंह ने छात्रों को खारकीव से निकल कर लिविवि पहुंचने की सलाह दे दी, लेकिन क्या उन्हें खारकीव और लीवीव के बीच की दूरी पता है? आपको बता दें कि खारकीव और लीवीव शहर के बीच की दूरी लगभग 1023 किलोमीटर है।
छात्रों का कहना हैं कि खारकीव से लिविव पहुंचने के लिए कोई भी साधन उपलब्ध नहीं है। लिविवि पहुंचने के लिए उनको युद्ध क्षेत्र से निकल कर जाना होगा। अगर पैदल भी जाए तो आठ दिन से ज्यादा का वक्त लगेगा। भारत सरकार यूक्रेन बॉर्डर पर पहुँचे लोगों को पोलैंड, रोमानिया और यूक्रेन के पड़ोसी देशों के जरिये वापिस ला रही। छात्रों का कहना है यूक्रेन में उनको भारतीय सरकार या एम्बेसी की तरफ से कोई सहयता नहीं मिल रही है। उन लोगों को खुद से ही ट्रेन, बस, टैक्सी या पैदल ही यूक्रेन बॉर्डर तक पहुँचना पड़ रहा है।
साभार- बोलता हिंदुस्तान
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