संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने घोषणा की है कि पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ के लगभग छह महीने बाद प्रभावित क्षेत्रों में लाखों लोगों को अभी भी पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछली गर्मियों में बाढ़ के बाद से बच्चों सहित एक करोड़ से अधिक पाकिस्तानी दूषित पानी पी रहे हैं.
यह बाल कुपोषण में एक प्रमुख भूमिका निभाता है क्योंकि डायरिया जैसी प्रमुख बीमारियां पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकती हैं. पिछली गर्मियों में पाकिस्तान को अपने इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था. देश का एक तिहाई हिस्सा बाढ़ के पानी में डूब गया था और लगभग 1,700 लोग मारे गए.
एक हारी हुई लड़ाई
पाकिस्तान में यूनिसेफ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फदल ने कहा, “स्वच्छ पेयजल कोई विशेष अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक बुनियादी मानव अधिकार है.”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में हर दिन लाखों लड़कियां और लड़के जल जनित बीमारियों और कुपोषण के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं.”
यूनिसेफ के बयान में कहा गया है कि बाढ़ ने प्रभावित क्षेत्रों में अधिकांश जल प्रणालियों को क्षतिग्रस्त कर दिया जिससे 54 लाख लोग प्रभावित हुए, जिनमें 25 लाख बच्चे भी शामिल हैं. प्रभावित लोग तालाबों और कुओं के दूषित पानी पर निर्भर रहने को विवश हैं.
दूषित जल पैदा कर रहा बीमारियां
सिंध प्रांत में बाढ़ के पानी ने एक हजार से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को क्षतिग्रस्त कर दिया. बाढ़ के छह महीने बाद भी कई लोग रुके हुए पानी के पास तंबुओं में रह रहे हैं. ऐसे में हैजा, डायरिया, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं.
पाकिस्तान में बाढ़ ने ग्रेट ब्रिटेन जैसे देश के कुल क्षेत्रफल से बड़े क्षेत्र को प्रभावित किया. विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण आई इस बाढ़ से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को करीब चालीस अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
पाकिस्तान मौसम के बदलते मिजाज के प्रति बहुत संवेदनशील है. इसकी गिनती दुनिया के उन 10 देशों में होती है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. पिछली गर्मियों में देश में आई विनाशकारी बाढ़ ने निश्चित तौर पर इस खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है.