अनियमित जीवन शैली के कारण मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मरीज बढ़े हैं। कम ही उम्र में पेट सेब का आकार ले रहा है। विशेषज्ञों की माने तो यह एक खतरनाक स्थिति है। पिछले 10 साल से देश ऐसे मामले ज्यादा बढ़े हैं। भारतीयों में यह सामान्य कारण के तौर पर उभरा है। आने वाले दिनों में मोटापा एक महामारी का रूप ले सकता है। इसके कारण दिल समेत दूसरी बीमारी होने की आशंका बनी रहती है।
सेब के आकार का मोटापा में शरीर का ऊपरी हिस्सा पतला होता है, जबकि कमर के निचले हिस्से पर मोटापा दिखने लगता है। ऐसे मरीजों में रक्तचाप, खून में वसा, मधुमेह, कमर का आकार, हाईडेंसिटी लेपोप्रोटीन का स्तर असामान्य हो जाता है। लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करना दिल पर बोझ बढ़ा देता है, जिससे अचानक दिल का दौरा आने की आशंका रहती है।
हर चौथा मरीज सेब के आकार का मोटापा का रोगी मिल रहा है। ऐसे मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होने की आशंका रहती है। मरीज में कमर का आकार, ट्राइग्लिसराइड्स, हाई-डेंसिटी लेपोप्रोटीन, रक्तचाप और शुगर में से यदि तीन भी अनियमित पाई जाती है तो ऐसे रोगी को विशेष ध्यान रखने को कहा जाता है। साथ ही इन्हें स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम करें, अच्छा भोजन करने को कहा जाता है।
बचाव के लिए यह करें
– नियमित व्यायाम
– स्वस्थ भोजन
– संतुलित जीवनशैली
– सक्रिय लाइफ स्टाइल
महावारी के बाद महिलाओं में खतरा दोगुना
40-45 साल की उम्र के बाद महिलाओं में महावारी बंद होने पर (10 साल बाद) दिल का रोग होने का खतरा दोगुना हो जाता है। ऐसी उम्र की महिलाओं को विशेष तौर पर ध्यान रखने की जरूरत होती है। डॉक्टरों का कहना है कि जांच के दौरान देखा गया है कि महिलाएं काफी लापरवाही बरतती है, जिस कारण इसमें मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की आशंका तेजी से बढ़ रही है। महावारी बंद होने के 10 साल बाद महिलाओं में दिल के रोग होने की संख्या बढ़ रही है।
इन पांच पर रखें विशेष ध्यान, न हो ज्यादा
कमर का आकार
पुरुष महिला
90 सेंटीमीटर 80 सेंटीमीटर
2. ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में वसा) 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर
3. हाई-डेंसिटी लेपोप्रोटीन
पुरुष महिला
40 एमजी/डीएल 50 एमजी/डीएल
4. रक्तचाप 130/85
5. शुगर खाली पेट – 100 एमजी/डीएल
बढ़ रहे दिल के मरीज
देश में दिल के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले दो सालों से ऐसे मरीजों की वीडियो काफी वायरल हुआ है जिन्हें अचानक दिल का दौरा आया और मौके पर ही मौत हो गई। इनमें बढ़ी संख्या कम उम्र की युवाओं की भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि खानपान में आए बदलाव के कारण युवाओं में तेजी से मधुमेह, रक्तचाप में बदलाव, खून में वसा, हाई-डेंसिटी लेपोप्रोटीन व मोटापा बढ़ रहा है। यह धीरे-धीरे दिल का रोग दे रहा है। जो एक समय के बाद अचानक दिल का दौरा दे जाता है।
– एजेंसी