नई दिल्ली। बॉलीवुड में 90 के दशक की टॉप एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महाकुंभ 2025 के दौरान किन्नर अखाड़ा ने महामंडलेश्वर की पदवी दी है, जिसका कई बाबाओं ने विरोध किया था। इसमें प्रमुख रूप से रामदेव और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री हैं, जिन्होंने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दिए जाने का खुलकर विरोध जताया था। इन दोनों ने एक्ट्रेस पर कड़े शब्दों में निशाना साधा था।
रामदेव से वो बस इतना कहना चाहती हैं कि उन्हें महाकाल और महाकाली से डरना चाहिए
इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगने वाले सभी आरोपों पर सफाई देते हुए विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। न्यूज चैनल के कार्यक्रम में एक्ट्रेस और साध्वी ममता से पूछा कि राम देव ने कहा था, ‘कोई एक दिन में संतव्य को उपलब्ध नहीं कर सकता है। आजकल मैं देख रहा हूं कि किसी को भी पकड़कर महामंडलेश्वर बना दिया जा रहा है। इसका जवाब देते वो कहती हैं कि रामदेव से वो बस इतना कहना चाहती हैं कि उन्हें महाकाल और महाकाली से डरना चाहिए।
इसके साथ ही 25 साल की उम्र में संत बनने का दावा करने वाले बागेश्वरधाम ने भी ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने को विरोध करते हुए एक्ट्रेस की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, ‘किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव में आकर किसी को भी महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? ये पदवी उसी को दी जानी चाहिए जिसके अदंर संत या साध्वी का भाव हो’। ममता ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया।
मैं धीरेंद्र शास्त्री से बस इतना कहना चाहती हूं कि अपने गुरु से पूछिए कि मैं कौन हूं?
वो कहती हैं, कि धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वरधाम की जितनी उम्र है (25 साल), उतनी मैंने तपस्या की है। उन्होंने कहा कि मैं धीरेंद्र शास्त्री से बस इतना कहना चाहती हूं कि अपने गुरु से पूछिए कि मैं कौन हूं और चुपचाप बैठ जाइए। एक्ट्रेस पर आरोप लग रहे थे कि उन्होंने 10 करोड़ रुपए देकर महामंडलेश्वर की पदवी हासिल की है। इसके जवाब में वो कहती हैं कि उनके पास 10 करोड़ क्या 1 करोड़ रुपए भी नहीं है। उन्होंने 2 लाख लेकर गुरु भेंट दी थी क्योंकि उनके सभी बैंक अकाउंट सीज हैं’।
आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के दबाव में आकर महामंडलेश्वर बनने के लिए हामी भरी
अपने साध्वी बनने के सफर के बारे में बात करते हुए ममता कुलकर्णी कहती हैं कि पिछले 23 साल से उन्होंने एक भी एडल्ट फिल्में नहीं देखी हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वो कभी महामंडलेश्वर नहीं बनना चाहती थीं, लेकिन किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के दबाव में आकर उन्होंने महामंडलेश्वर बनने के लिए हामी भरी।
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