कभी गुजरातियों का गढ़ हुआ करता था मालदीव, फिर कैसे बना इस्लामिक देश?

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1200 द्वीपों से बना है मालदीव

मालदीव दुनिया का सबसे निचला देश है जो भारत और श्रीलंका के बीच बसा एक द्वीप है। मालदीव श्रीलंका से लगभग एक घंटे की दूरी पर स्थित है। यह विशाल हिंद महासागर में फैले लगभग 1200 द्वीपों से बना है। इतिहास के अनुसार मालदीव 2,500 वर्षों से अधिक पुराना बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यहां के शुरुआती निवासी गुजरात माने जाते हैं।

कभी था हिंदू राजाओं का शासन

इतिहास के अनुसार 12वीं शताब्दी तक मालदीव में हिंदू राजा राज किया करते थे। बाद में यह बौद्ध धर्म का केंद्र बन गया। बताया जाता है कि यहां तमिल चोला राजा भी शासन रह चुका है। इसके बाद अरब व्यापारियों के आए और फिर यह धीरे-धीरे मुस्लिम राष्ट्र में बदलता चला गया। वर्तमान में मालदीव में इस्लाम का शासन चल रहा है।

अरब व्यापारियों ने फैलाया इस्लाम

कहा जाता है कि यहां के पहले निवासी धेविस नाम से जाने जाते थे। 12वीं शताब्दी से अरब व्यापारियों यहां पर आए और फिर इस्लाम बढ़ने लगा। ऐसा कहा जाता है कि मालदीव के अंतिम बौद्ध राजा धोवेमी था, जिन्होंने इस्लाम स्वीकर कर लिया। मौजूदा समय में मालदीव में अब सुन्नी मुसलमानों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।

मालदीव का भारतीय कनेक्शन

मालदीव के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि इसकी स्थापना एक भारतीय राजकुमार ने की थी जिसे निर्वासन में भेज दिया गया था। लगभग 270 ईसा पूर्व में एक भारतीय राजकुमार को कलिंग राज्य से मालदीव के द्वीपों पर भागने के लिए सजा के तौर पर भेजा गया था। ऐसा कहा जाता है कि सोरुदसरुणा अदित्तिया द्वीप के पहले राजा थे, जिसे तब धीवा मारी कहा जाता था, और उन्होंने मालदीव में अदित्त राजवंश की स्थापना की थी।

सख्त संविधान

मालदीव के संविधान के अनुसार केवल मुसलमानों को ही देश का नागरिक कहलाने की अनुमति है। इस्लाम के अलावा किसी अन्य आस्था की अनुमति नहीं है।

एक अलग सप्ताहांत

अपने पश्चिमी समकक्षों के विपरीत मालदीव में शनिवार और रविवार को नहीं, बल्कि शुक्रवार और शनिवार को सप्ताहांत के रूप में मान्यता है। इसलिए जब आप वहां पर लोगों को रविवार को काम करते हुए देखें तो हैरान ना हों।

-एजेंसी