महाराष्ट्र के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव के रूप में गणेशोत्सव की पहचान है. 31 अगस्त से गणेशोत्सव शुरू हो रहा है. बीते दो साल कोरोना को लेकर पाबंदियां थीं. अब नई सरकार ने गणेशोत्सव और मूर्तियों की ऊंचाई पर लगे सारे प्रतिबंध हटा दिए हैं. तो तीस फीट से भी ऊंची मूर्तियां तैयार हो रही हैं. पीओपी की मूर्तियों की इस साल भरमार होगी, क्योंकि बीएमसी अगले साल से पीओपी को पूरी तरह से बैन करने वाली है.
गणेशोत्सव को लेकर मूर्तिकार दिन-रात काम कर रहे हैं. वहीं बड़ी मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार तनाव में हैं, क्योंकि कम समय में ही बड़ी मूर्तियों को बनाने का ऑर्डर ज्यादा है. प्रदेश में पाबंदी हटने में देरी हुई और उत्सव में समय काफी कम बचा है. इसीलिए गणेशोत्सव को लेकर तैयारी काफी तेजी से चल रही है. दो साल बाद मंडलों में जोरदार उत्साह है. विघ्नहर्ता इस बार 30 फीट से भी ऊपर के होंगे.
कोरोना के दौरान 4 फुट से बड़ी प्रतिमा पर रोक थी. इस बार ऊंचाई पर से पाबंदी हटी है, वहीं पीओपी पर से भी बैन टल गया है. शिंदे-बीजेपी सरकार आते ही त्योहारों से पाबंदियां हटा ली गई थीं लेकिन मूर्तिकारों के पास समय कम में ज्यादा काम है. कोरोना काल के बाद मूर्तिकारों और मंडलों में गणेशोत्सव को लेकर नई ऊर्जा है.
अगले तीन हफ्ते में 35-40 फुट की विशाल मूर्तियां तैयार हो जानी हैं. मूर्तिकारों के सामने अचानक ये मौका लौटा है. पाबंदी हटने के कारण शहर में 5 से 25-30 फुट तक की मूर्तियां बनाने की होड़ लग गई है. ऐसे में मूर्तिकार रात-दिन इस काम में जुटे हैं. फिलहाल तो वो खुश हैं, लेकिन अगले साल लगने वाले पीओपी की पाबंदी से चिंतित हैं.
दरअसल, बड़ी मूर्तियों के निर्माण के लिए पीओपी जरूरी है लेकिन इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. मूर्तिकार कहते हैं कि अगर पीओपी बैन हुआ तो ऐसी भव्य मूर्तियां बननी नामुमकिन हो जाएगी. बीएमसी ने इस बार कोरोना काल को देखते हुए पीओपी के इस्तेमाल की विशेष इजाजत दी है, लेकिन अगली बार से इन पर पाबंदी का एलान कर दिया है.
शहर में 1000 छोटे-बड़े सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल हैं. इनमें से करीब 250 बड़े मंडलों में गणेशोत्सव का भव्य स्वरूप होता है. सार्वजनिक मंडलों ने भी इस बार दोगुने जोश से गणेशोत्सव मनाने का फैसला किया है. इसलिए मूर्तिकारों को कम समय में बड़ी और ज़्यादा मूर्तियाँ तैयार करनी हैं.
-एजेंसी