लोकसभा चुनाव में चौथे चरण की वोटिंग हो चुकी है। चुनाव आयोग की तमाम कोशिशों के बावजूद वोटिंग पर्सेंटेज में गिरावट से शेयर बाजार के निवेशक अलर्ट मोड में नजर आ रहे हैं। खासतौर पर भारतीय शेयर बाजार को लेकर विदेशी निवेशकों का मूड बिगड़ा हुआ है। इस वजह से शेयर बाजार का माहौल भी बदला-बदला सा नजर आ रहा है।
एक दशक में निवेशक सबसे ज्यादा निराश इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक निवेशकों को ये डर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA को लोकसभा चुनाव में पहले के अनुमान से कम सीट मिल सकती है। विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों को लेकर पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा निराश नजर आ रहे हैं। ब्लूमबर्ग आंकड़ों से पता चलता है कि निवेशक शेयरों की बिक्री पर ज्यादा जोर दे रहे हैं लेकिन खरीदारी कम रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नेट शॉर्ट पोजिशन इस वक्त 2012 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है।
4 बिलियन डॉलर की निकासी डेरिवेटिव बाजार में मंदी की स्थिति ऐसे समय में आई है जब विदेशी निवेशकों ने अप्रैल की शुरुआत से भारतीय शेयरों से लगभग 4 बिलियन डॉलर की निकासी की है। ऐसा माना जा रहा है कि विदेशी निवेशक चुनाव के नतीजों के बारे में सतर्क है। यह सेंटिमेंट हाल के दौरान वोटिंग पर्सेंटेज में गिरावट के बाद आया है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पीएम मोदी की अगुवाई वाले एनडीए (NDA) गठबंधन के परफॉर्मेंस में गिरावट की स्थिति में इंफ्रा और मैन्युफैक्चर के अलावा नीतिगत सुधारों को पूरा करने की उनकी क्षमता में बाधा आ सकती है।
एक्सपर्ट का अनुमान वोटिंग पर्सेंट में गिरावट ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के 400 लोकसभा सीट के अनुमान को लेकर चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, वोटिंग पर्सेंट में गिरावट के लिए कोई निश्चित कारण नहीं हैं। विश्लेषकों और चुनाव पर नजर रखने वालों ने इस प्रवृत्ति के लिए देश भर में चल रही गर्मी की लहर और मतदाताओं को एकजुट करने के लिए एक व्यापक भावनात्मक मुद्दे की कमी सहित कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। इसके बावजूद जानकारों को उम्मीद है कि एनडीए साल 2019 के परफॉर्मेंस दोहराने या थोड़ा ऊपर जाने की कुछ संभावना के साथ आगे बढ़ सकती है।
-एजेंसी