राजस्थान में लिथियम का महाभंडार मिला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण यानी जीएसआई के अनुसार यह जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से बड़ा है। नागौर इलाके में मिले इस भंडार से देश की 80 प्रतिशत लिथियम डिमांड का पूरा किया जा सकता है। देश का अब तक का सबसे बड़ा लिथियम भंडार खोजे जाने के बाद ईवी इंडस्ट्री में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।
देश में लिथियम के भंडार और उत्पादन से इलेक्ट्रिक व्हीकल की लागत में भारी कमी आने का अनुमान है। इससे ईवी व्हीकल के मार्केट और इसके ग्राहकों को आने वाले समय में सीधा फायदा होने वाला है। बता दें कि राजस्थान के साथ ही लिथियम की खोज जम्मू-कश्मीर, मेघालय, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी जारी है।
लिथियम की खोज पर जोर दे रहा जीएसआई
हरित अर्थव्यवस्था पर जोर के बीच भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) लीथियम, निकल, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ तथा महत्वपूर्ण खनिजों की खोज पर जोर दे रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को कहा कि जीएसआई की एक तिहाई वार्षिक परियोजनाएं इन तत्वों की खोज के लिए होंगी। स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए ये खनिज महत्वपूर्ण हैं।
जीएसआई के उप-महानिदेशक (नीति सहयोग प्रणाली- योजना एवं निगरानी) असित साहा ने कहा कि राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन अब जियोसाइंस ऑस्ट्रेलिया फॉर मिनिरल एक्सप्लोरेशन के साथ काम कर रहा। इसके अलावा वह रूस और ब्राजील के साथ काम करने के लिए भी बात कर रहा है।
हर साल 100 से ज्यादा खोज परियोजनाएं, जम्मू-कश्मीर में मिला भंडार
साहा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम महत्वपूर्ण खनिजों के लिए 2020-21 से हर वर्ष 100 से ज्यादा खोज परियोजनाएं चला रहे हैं। यह 2023-24 में भी जारी है क्योंकि यह हमारा मजबूत क्षेत्र है। पहले ऐसी परियोजनाओं की संख्या 60-70 होती थी लेकिन अब हमने इसमें काफी वृद्धि कर दी है।’
उन्होंने कहा, ‘एक वर्ष में लगभग 350 खनिज खोज परियोजनाओं में महत्वपूर्ण खनिजों की कम से कम एक-तिहाई हिस्सेदारी है। बाकी आधार धातु, सोना, हीरा, चूना पत्थर और थोक खनिज आदि के लिए हैं।’ जीएसआई ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमना क्षेत्र में लिथियम की खोज की है, जिसकी अनुमानित भंडार क्षमता 59 लाख टन है।
Compiled: up18 News