मुंबई (अनिल बेदाग): चिकित्सा जगत में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए लिलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई ने देश में पहली बार मिनिमली इनवेसिव कॉलोनोस्कोपिक सिकोस्टॉमी सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह अनूठी प्रक्रिया 28 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल मर्लिन डी’मेलो पर की गई, जो जन्म से स्पाइना बिफिडा से पीड़ित थीं और न्यूरोजेनिक बाउल की गंभीर समस्या से जूझ रही थीं।
इस अत्याधुनिक एंडोस्कोपिक तकनीक में कॉलोनोस्कोपिक गाइडेंस के माध्यम से परक्यूटेनियस सिकल एक्सेस बनाकर 24 फ्रेंच पीईजी कैथेटर डाला गया। इस सर्जरी के बाद मरीज अब बिना किसी ओपन सर्जरी या पेट में चीरा लगाए, स्वयं एंटिग्रेड कोलोनिक इरिगेशन कर सकती हैं — जिससे जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार संभव हुआ है।
मर्लिन पहले MACE (मैलोन एंटिग्रेड कॉन्टिनेंस एनिमा) सर्जरी करवा चुकी थीं, लेकिन उन्हें दीर्घकालिक राहत नहीं मिल पाई थी। ऐसे में इस नई एंडोस्कोपिक प्रक्रिया ने उनके लिए एक नई उम्मीद जगाई।
डॉ. रविकांत गुप्ता और डॉ. संतोष करमरकर के नेतृत्व में लिलावती हॉस्पिटल की बहु-विषयक विशेषज्ञ टीम ने यह प्रक्रिया एक घंटे से भी कम समय में पूरी की। इस तकनीक से न केवल पारंपरिक लैपरोटॉमी की जरूरत समाप्त हुई, बल्कि पहले से हुई सर्जरी या एडहेशन जैसी जटिलताओं के बावजूद जोखिम न्यूनतम रहा।
सर्जरी के 24 घंटे के भीतर ही मर्लिन डी’मेलो ने सिकोस्टॉमी ट्यूब के जरिए सलाइन फ्लश कर स्वतः मल त्याग किया। उन्हें लगभग कोई असुविधा नहीं हुई, दर्दनिवारक दवाओं की जरूरत नहीं पड़ी और अगले ही दिन वे स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से डिस्चार्ज हो गईं।
डॉ. रविकांत गुप्ता, कंसल्टेंट एंडोस्कोपी इंटरवेंशन, लिलावती हॉस्पिटल ने बताया, “यह प्रक्रिया न्यूरोजेनिक बाउल डिसफंक्शन के जटिल मामलों के इलाज में गेमचेंजर साबित होगी। स्पाइना बिफिडा के मरीजों के लिए यह सिर्फ उपचार नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है।”
डॉ. संतोष करमरकर, कंसल्टेंट पीडियाट्रिक सर्जन और स्पाइना बिफिडा विशेषज्ञ, ने कहा, “यह मरीज बचपन से दूसरों पर निर्भर थी। अब उसे स्थायी स्वतंत्रता मिली है। यह तकनीकी सफलता के साथ-साथ उसके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद अहम है। चिकित्सा का असली अर्थ मरीज को उसकी गरिमा लौटाना है।”
डॉ. निरज उत्तमानी, मुख्य परिचालन अधिकारी, लिलावती हॉस्पिटल ने कहा, “हमें गर्व है कि लिलावती हॉस्पिटल ऐसे नवाचारों में अग्रणी है जो सीधे रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं। यह क्रांतिकारी कॉलोनोस्कोपिक सिकोस्टॉमी न केवल सर्जिकल सफलता है, बल्कि भारत में मिनिमली इनवेसिव केयर के नए युग की शुरुआत भी है।”
यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा तकनीक की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मरीजों के लिए आत्मनिर्भरता, गरिमा और बेहतर जीवन गुणवत्ता की दिशा में एक प्रेरक कदम भी है।

