श्रीकृष्ण-जन्मस्थान की सुप्रसिद्ध लठामार होली महोत्सव का शुभारम्भ भगवान गणेश की स्तुति एवं वन्दना के साथ दोपहर लगभग 2 बजे हुआ।
श्रीकृष्ण-जन्मभूमि की इस अलौकिक लठामार होली में हुरियारों द्वारा धारण की हुई ढाल एवं तेल में भीगी हुरियारिनों की रंग-बिरंगी लाठियां भी प्रिया-प्रियतम की अलौकिक होली भाव उत्पन्न कर रहीं थी।
होली के परंपरागत लोकगीत एवं भजन का गायन एवं उस पर ब्रज क्षेत्र, मुंबई, दिल्ली व राजस्थान (अलवर) के विशिष्ट कलाकारों द्वारा नृत्य आदि कर, प्रिया-प्रियतम की इस होली का रस एवं भावमय प्रस्तुतीकरण किया।
सुप्रसिद्ध लठामार होली कार्यक्रम का समापन जन्मस्थान प्रांगण में फूलों की होली के मध्य गायन एवं लठ और ढाल के साथ परस्पर होली खेलते ग्राम रावल एवं श्रीकृष्ण संकीर्तन मण्डल के हुरियारे-हुरियारिनों को देखकर प्रिया-प्रियतम की प्रिय होली लीला सजीव एवं साकार हो उठी। लठामार होली के मध्य हुई पुष्प एवं गुलाल की वर्षा से नयनाभिराम अलौकिक दृश्य उत्पन्न हो गया।
होली के इस विशेष अवसर पर कई कुन्तल गुलाल व पुष्प की वर्षा आधुनिक मशीनों के द्वारा की गई।
लठामार होली के सांस्कृतिक कार्यक्रम में गोवर्धन (मथुरा) के श्री राजेश शर्मा के श्याम लोक कला मंच के कलाकार, श्रीमती शालिनी शर्मा एवं श्री जगदीश ब्रजवासी के होली रसिया गायन एवं दिल्ली के विक्की व श्रुति खन्ना आदि विभिन्न कलाकारों ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर विशेष रूप से पधारे ब्रज के प्रमुख परम पूज्य संत कार्ष्णि गुरूशरणानन्दजी महाराज ने केशव वाटिका स्थित मंच पर विराजमान युगल सरकार श्रीराधाकृष्ण के स्वरूप की आरती की। कार्ष्णि गुरूशरणानन्दजी महाराज का स्वागत संस्थान के सचिव श्री कपिल शर्मा, सदस्य श्री गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, लठामार होली समिति के अध्यक्ष श्री किशोर भरतिया, श्री नन्दकिशोर अग्रवाल एवं अनिल अग्रवाल आदि ने किया।
जन्मस्थान की केशव वाटिका के विशाल मंच पर हुऐ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने हेतु महिला श्रद्धालुओं के बैठने की विशेष व्यवस्था संस्थान प्रबंधन द्वारा की गई।
एजेंसी
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