पीएम मोदी ने बाइडेन को मैसूर के चंदन से बना विशेष संदूक और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को इकोफ्रेंडली डायमंड गिफ्ट किया. ऐसे में सवाल है कि इसे ग्रीन डायमंड क्यों कहा गया है, इसे कैसे तैयार किया जाता है और पीएम मोदी ने इसे तोहफे में क्यों दिया. आइए इसे समझते हैं.
अमेरिकी दौरे के दूसरे दिन पीएम मोदी प्राइवेट डिनर के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे. राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी ने उनका स्वागत किया. पीएम मोदी ने बाइडेन को मैसूर के चंदन से बना विशेष संदूक और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को इकोफ्रेंडली डायमंड गिफ्ट किया. यह डायमंड खास है. 7.5 कैरेट वाले इस इको फ्रेंडली डायमंड को लैब में तैयार किया गया है. यह देखने में बिल्कुल सामान्य डायमंड जैसा है.
ग्रीन डायमंड क्यों कहा गया है, इसे कैसे तैयार किया जाता है और पीएम मोदी ने इसे तोहफे में क्यों दिया.
कितना खास है लैब में बना हीरा
आमतौर पर एक हीरा, जमीन में कई किलोमीटर की गहराई में बनता है, लेकिन लैब में बनने वाले हीरे और सामान्य हीरे में फर्क कर पाना मुश्किल होता है. यही वजह है कि इसे आर्टिफिशियल डायमंड कहते हैं. लैब में एक हीरे को बनने में करीब 20 से 30 दिन लगते हैं.
बिना माइक्रोस्कोप के सामान्य और लैब में बने हीरे में फर्क कर पाना मुश्किल है. वर्तमान में देश में ऐसे हीरों की मैन्युफैक्चरिंग की जा रही है. इन्हें गुजरात में तैयार किया जा जा रहा है. गुजरात में इसकी 400 से ज्यादा फैक्ट्री हैं. इसे तैयार करने में पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है, यही वजह है कि इसे इकोफ्रेंडली या ग्रीन डायमंड कहते हैं.
आमतौर पर धरती में कार्बन कणों पर पड़ने वाला दबाव ही हीरो के निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है उसी तरह लैब में भी एक खास तरह का दबाव पैदा किया जाता है. कार्बन कणों पर खास तरह का दबाव और तापमान हीरे को तैयार करता है.
पीएम मोदी ने जो हीरा जिल बाइडेन को दिया है, वो इसी तकनीक से बनाया गया है. यह हीरा जेमोलॉजिकल लैब से सर्टिफाइड है. इसमें 4-सी हॉलमार्क है. जिस पर कट, कलर, कैरेट और क्लेरिटी जैसे चार मानकों (C) पर परखने के बाद मुहर लगाई गई है.
खास बात है कि जिस बॉक्स में ग्रीन डायमंड को रखा गया है उसे पेपियर मैशे कहते हैं. इसे कश्मीर में तैयार किया गया है. इस पर वहां की कला की छाप नजर आ रही है.
पीएम मोदी ने तोहफे में डायमंड क्यों दिया?
पिछले कुछ समय से भारत सरकार लैब में बनने वाले डायमंड पर फोकस कर रही है. इस साल बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश के आईआईटी संस्थानों को लैब में हीरा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. आईआईटी को इसके लिए ग्रांट दी जाएगी. भारत को इसका मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की तैयारी है. इस तरह हीरों का आयात घटेगा और देश में युवाओं को रोजगार मिलेगा.
दुनियाभर में बिकने वाले हीरों का एक बड़ा हिस्सा यहां आता है. यहां इनकी कटाई और पॉलिसिंग का काम होता है. देश की लैब में हीरों की मैन्युफैक्चरिंग से इसके कारोबार पर सकारात्मक असर होगा.
– एजेंसी