ध्रुव तारा उत्तर ध्रुव से सीधे आकाश की ओर प्रक्षेपित काल्पनिक सीधी रेखा पर या उसके आसपास स्थित सबसे चमकीले तारे को कहते हैं।
ध्रुव तारा की विशेषता यह है कि पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर स्थित किसी भी एक जगह से यह रात्रि आकाश में हमेशा एक ही जगह दिखाई देता है अर्थात स्थिर रहता है – जिससे उत्तर दिशा जानने में उत्तरी गोलार्ध में मदद मिलती है और हजारों सालों से नाविक और यात्री इस बात का फायदा उठाते रहे हैं।
प्रेक्षक का latitude (अक्षांश) पता चलता है
लेकिन जो सबसे अहम बात है वह यह है कि ध्रुव तारे का स्थान रात्रि आकाश में कमोबेश एक ही रहता है लेकिन ध्रुव तारे समय के साथ बदल जाते हैं। ऐसा 2-4 हजार सालों के उपरांत होता है।
वर्तमान में, लघु सप्त ऋषि (Ursa Minor) तारा समूह के polaris (पोलैरिस) तारा को ध्रुव तारा के नाम से जाना जाता है लेकिन यह हमेशा से ध्रुव तारा नहीं रहा है
जैसे, कॉमन्स एरा 1 AD (2200 वर्ष पूर्व) की शुरुआत में kochab (कोकब) ध्रुव तारा था। उससे भी 3000 वर्ष पूर्व यानी कलियुग की शुरुआत में Thuban (थुबन) ध्रुव तारा था। 1800 वर्षों के उपरांत वर्तमान ध्रुव तारा Polaris की जगह Errai ध्रुव तारा हो जाएगा।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का अक्ष 23.5° झुका हुआ है और सूर्य व चंद्रमा के सम्मिलित गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से (equator पर उभरे व ध्रुवों पर पिचके होने के कारण) पृथ्वी ध्रुवीय अक्ष पर नाचती (wobble करती) है। इसीलिए जब पृथ्वी घूमती है तो दोनों ध्रुवों को मिलाने वाली सीधी रेखा भी इसी कोण से घूमती है और हकीकत में पृथ्वी का घूर्णन एक लट्टू के जैसा होता है अर्थात पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव भी लट्टू के जैसा घूमता रहता है।
चित्र में Polaris वर्तमान ध्रुव तारा है
पृथ्वी के precession (लट्टुनुमा घूर्णन) के कारण आकाश में ध्रुव तारों का बदलाव पथ।
इस precessional path पर एक संपूर्ण चक्कर की अवधि 25,772 वर्ष (लगभग 25,800 या 26,000 वर्ष ) है। ध्रुवीय पथ के तारे आसमान में लगभग स्थिर रहते हैं, लेकिन पृथ्वी के उत्तर ध्रुव से निकल कर आकाश से मिलने वाली रेखा बदलती रहती है और बदलते रहते हैं ध्रुव तारे भी।
चित्र में मात्र 4 ध्रुव तारे दिखाए गए हैं लेकिन हकीकत में यह 8 हैं जिनका क्रमवार विवरण निम्न है।
Forbes के अनुसार-
Polaris ( 300 AD – 4000 AD)
Errai ( 4 – 8 हज़ार AD)
Aldermin (8000 -10000 AD)
Deneb (10000 – 14000 AD)
Vega ( 14000 -18,000 AD)
Hercules ( 4000 – 8000 BC) अंतिम ग्लेशियल (glacial) काल की समाप्ति और समस्त विश्व में तापमान वृद्धि के कारण पाषाणकालीन युग का आरम्भ
Thuban (1700 BC – 4000 BC) पिरामिड काल , सिंधु घाटी सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता सहित विश्व की समस्त प्राचीनतम सभ्यताओं का काल, द्वापर के अंतिम हज़ार वर्ष और कलियुग की शुरुआत
Kochab (1700 BC – 300 AD) वैदिक काल की समाप्ति से लेकर पौराणिक काल के आरंभ तक।
ध्रुव तारा के बारे में दो खास बातें
ध्रुव तारा उत्तरी गोलार्ध में ना केवल उत्तर दिशा दिखाता है बल्कि
अक्षांश भी बताता है आप जहां से भी ध्रुव तारा को देखें ध्रुव तारा आसमान में उतनी डिग्री ही ऊँचा दिखेगा जितनी डिग्री आपका अक्षांश है।
अर्थात, उत्तरी ध्रुव पर यह सीधा ऊँचा दिखेगा और इक्वेटर पर एकदम जमीन/सागर/क्षितिज को छूता हुआ।
ध्रुव तारे के बारे में प्रचलित कुछ आम किंवदंतियाँ जो गलत हैं।
1. आसमान का सबसे चमकीला तारा ध्रुव तारा है।
गलत।
तथ्य: डॉग स्टार या Sirius आसमान का सबसे चमकीला तारा है ।
ध्रुव तारा आसमान का 48 वां चमकीला तारा है।
2. ध्रुव तारा बिल्कुल सही (accurately) उत्तर दिशा बताता है।
गलत ।
तथ्य:
ध्रुव तारा लगभग उत्तर दिशा को बताता है पर बिल्कुल accurately नहीं।
अभी भी ध्रुव तारा बिल्कुल (खगोलीय) उत्तरी ध्रुव पर नहीं है, बल्कि 45′ हट कर है ।
। आज से 2000 वर्ष पूर्व polaris जब ध्रुव तारा नहीं था तब यह उत्तरी ध्रुव से 12° दूर था । सन 1000 में ध्रुव तारा के रूप में स्थापित होने के बावजूद यह (खगोलीय) उत्तरी ध्रुव से लगभग 6° दूर था (स्रोत stellarium app ) । यह उत्तरी ध्रुव के ठीक ऊपर कभी भी नहीं होगा और जब यह उत्तरी ध्रुव के नजदीक तम होगा तब भी यह न्यूनतम 27′ 09″ से अलग रहेगा।
ध्रुव तारा के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य
दक्षिणी गोलार्ध में ध्रुव तारा दिखाई नहीं देता है; अर्थात ऑस्ट्रेलिया, न्यूजलैंड, अर्जेंटीना चिले और उरुग्वे आदि से कोई भी व्यक्ति ध्रुव तारा नहीं देख सकता है।
ध्रुव तारा की चमक स्थिर नहीं रहती है, बल्कि हर चौथे दिन यह चमक का एक चक्र पूरा करता है यानी सबसे कम चमक (2.13) से लेकर सबसे ज्यादा चमक (1.86) जो कि पहले 10% का अंतर था और अब 4%। वैज्ञानिक इसका सही-सही कारण अभी भी नहीं जानते हैं।[15]
वर्तमान ध्रुव तारा एकल तारा (Single Star) नहीं है बल्कि 3 तारों का समूह है।
विभिन्न संस्कृति और ध्रुव तारा
स्वयंभू मनु के पुत्र उत्तानपाद की प्रथम पत्नी सुनीति से उत्पन्न पुत्र ध्रुव से राजा उत्तानपाद का इतना लगाव नहीं था और उनकी गोद में बैठने पर उसे दूसरी पत्नी सुरुचि के तानों का सामना करना पड़ा। उसके पश्चात सप्त ऋषियों से परामर्श कर ध्रुव ने मथुरा स्थित मधुबन में घनघोर तपस्या की जिसके उपरांत विष्णु भगवान ने प्रकट होकर समस्त देवताओं और तारों से भी ऊपर ध्रुव को आसमान में सबसे ऊंचा स्थान प्रदान किया जिसे आज हम ध्रुव तारा के नाम से जानते हैं और समस्त रात्रि आकाश इसी के इर्द-गिर्द घूमता हुआ नजर आता है (संदर्भ विष्णु पुराण अध्याय 11 – 12)
( उपरोक्त अनुसार विष्णु पुराण की रचना विधि 300 AD के बाद संभवत पांचवीं- छठी शताब्दी होगी।)
साथ ही सप्त ऋषि तारामंडल 23 घंटे 56 मिनट में ध्रुव तारा का एक चक्कर पूरा कर लेता है, जो कि पृथ्वी की अपने धुरी पर एक चक्कर लगाने की सटीक (Exact)अवधि है।
अरबी दंत कथाओं में इसे एक बुरा तारा माना गया है जिसने आसमान के महान योद्धा को मारकर सप्त ऋषि तारामंडल में दफन कर दिया।
नार्थ चंद कथाओं में इसे देवताओं द्वारा फेंका गया एक पाइप माना गया है जिसके चारों ओर विश्व घूमता है।
मंगोल दंत कथाओं में इसे वह कील माना गया है जो समूचे विश्व को जोड़ता है।
पृथ्वी के precessional circle पर 8 ध्रुव तारों का चित्र- 26,000 वर्षों का चक्र
ध्रुव तारा माने जाने के कुछ सर्व सम्मत आधार
यह पृथ्वी के precessional circle पर तत्कालीन celestial उत्तरी ध्रुव के निकट हो – लगभग 7° तक
यह नंगी आँखों से (बिना टेलिस्कोप) के आसानी से दिखाई दे अर्थात चमक 4 से ज्यादा। हालांकि नंगी आँखों से + 6.5 चमक वाले तारे को देखा जा सकता है। लेकिन आसानी से दिखने हेतु और चमकदार यथा + 4 चमक जरूरी माना जाता है। सूर्य की चमक – 27 , पूर्णिमा के चाँद की चमक -12.7 और vega की चमक 0 मानी जाती है। अर्थात मान बढ़ने से चमक घटती है।
Compiled: up18 News
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