जानिए: किस तरह हो रहा है हमारी सेना का आधुनिकीकरण, AI तकनीक का होगा जलवा

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दरअसल, सेना ने यह समझ लिया है कि उत्तर में चीन की सीमा पर भविष्य में भी खतरा बना रहेगा। चीन की मंशा भांपकर ही भारतीय सेना ने बड़े पैमाने पर फेर-बदल और सुधारों को लागू करना शुरू कर दिया। इसी के तहत अत्याधुनिक तकनीक और बिल्कुल सटीक मारक क्षमता से लैस हथियारों पर खासा जोर दिया जा रहा है। आइए देखते हैं कि हमारी सेना का आधुनिकीकरण किस तरह हो रहा है…

स्वार्म ड्रोन्स

रक्षा क्षेत्र की दो स्टार्ट-अप कंपनियां स्वार्म ड्रोन्स बना रही हैं। स्वार्म ड्रोन्स में कई ड्रोनों का एक जत्था होता है जो तरह-तरह के हथियार और गोला-बारूद ढो सकते हैं। लद्दाख में इनकी टेस्टिंग हो चुकी है। इनमें लगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए ये ड्रोन्स एक-दूसरे एक-दूसरे के साथ-साथ नियंत्रण केंद्र के भी संपर्क में रहते हैं। यही एआई निर्धारित करेगा कि कौन सा ड्रोन दुश्मन के किस साजो-सामान को निशाना बनाएगा।

ISR का होगा जलवा

संघर्ष की स्थिति में इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉन्सैंस (ISR) जमीन पर तैनात सैन्य कमांडरों को बेहतर तरीके से हालात से अवगत करवाएंगे। आईएसआर के लिए छोटे-छोटे यूएवीज का इस्तेमाल होगा जो। इनमें कुछ ऐसे यूएवीज भी होंगे जिन्हें जमीन पर दुश्मनों से लड़ने के लिए आगे किया जाएगा। एआई बेस्ड सर्वीलांस सिस्टम से सीमा पर कुछ गड़बड़ी के हालात की जानकारी तुरंत मिल जाएगी जिससे जल्द से जल्द जवाबी कार्रवाई किया जा सकेगा।

ये ड्रोन तो कमाल करेंगे

थल सेना ऐसे ड्रोनों को अपने बटालियन में शामिल करने की तरफ कदम बढ़ा चुकी है जो दुश्मनों पर ना केवल निगरानी रखेंगे बल्कि उनकी गलत हरकतों को भांपते ही खुद से अटैक भी कर देंगे। ये ड्रोन सियाचिन, पूर्वी लद्दाख और सिक्किम जैसे काफी ऊंचाई वाले इलाकों में तैनाती के लिहाज से काफी कारगर साबित होंगे।

इंटीग्रेटेड सर्विलांस एंड टारगेटिंग सिस्टम (SEATS) के रूप में ये ड्रोन नजरों की आड़ वाले इलाकों की भी दुश्मनों से रक्षा करेंगे। ये आईसैट्स, टैंकों की तैनाती के साथ सेट किए जाएंगे।

तैयार हो रहे हल्के नए टैंक जोरावर

पूर्वी लद्दाख के संघर्ष से सीख लेते हुए आर्मी देश में ही हल्के टैंक बनाने पर विचार कर रही है जिसका वजन 25 टन के आसपास ही हो। डोगरा बटालियन के जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखे गए इस टैंक डिजाइनिंग ऐसी की जा रही है कि इसे एयर फोर्स के सी-17 प्लेन में भी ढोया जा सके।

जोरावर में बेहद अत्याधुनिक तकनीक होगी। चीन ने अपने सैन्य बेड़े में कई मध्यम और हल्के वजन के टैंक शामिल किए हैं। वहीं, भारतीय सेना को टी-72 और टी-90 टैंकों को तैनात करना पड़ता है जिनका वजन क्रमशः 41 टन और 46 टन है।

और घातक बन रहा है मेकनाइज्ड फोर्स

बीते चार दशकों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक युद्ध अभियानों में मेकनाइज्ड इन्फेंट्री का ही उपयोग होता रहा है। वो चाहे पूर्वी लद्दाख और सिक्किम का पहाड़ी इलाका हो या फिर राजस्थान और पंजाब की समतल भूमि। हर जगह मेकनाइज्ड इन्फेंट्री ही मोर्चा संभालती है। अब इस इन्फेंट्री का लक्ष्य है कि इसके सारे पुराने साजो-सामान को अत्याधुनिक हथियारों से रिप्लेस किया जाए। जिन औजारों को अपग्रेड किया जा सकता है, उनके अपग्रेडेशन का काम भी होगा। सबसे बड़ा बदलाव यह होने जा रहा है कि अब पूरा फोकस देश में इंजन बनाने पर है।

बीएमपी-2 के बेड़े को भविष्य के लिहाज से तैयार एक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (FICV) से बदला जाएगा। रक्षा मंत्रालय के पास यह प्रस्ताव पड़ा हुआ है। मेकनाइज्ड इन्फेंट्री विजुअल रेंज से भी ज्यादा तक मार करने की क्षमता से लैस होने जा रहा है। इसके लिए ऑटोमैटिक 30-एमएम कैनन और 7.62 एमएम मशीन गन लगाए जा रहे हैं जो हवा में दुश्मन का मुकाबला करेंगे।

भविष्य के टैंक बेड़े पर नजर

भारतीय थल सेना के पास टी-72, टी-90 और अर्जुन टैंक की अच्छी खासी संख्या है। टी-20 पिछले 40 वर्षों से मुख्य युद्धक टैंक रहा है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि आधुनिक टैंकों को तवज्जो दी जाए। सेना का लक्ष्य भविष्य के युद्धों के मद्देनजर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस टैंक बटालियन बनाने की है। ऐसे टैंक एआई, ड्रोन, प्रोटेक्शन सिस्टम आदि से लैस होंगे और इन्हें यूएवी के जरिए संचालित किया जा सकेगा।

एक दशक पहले सेना के बेड़े में शामिल किए गए अर्जुन टैंक का अपडेट वर्जन अर्जुन एमके-1ए भी भविष्य के युद्धों के लिहाज से काफी असरदार साबित होगा। इसमें 71 नए फीचर जोड़े गए हैं। बड़ी बात है कि यह अपने मेन गन से मिसाइल भी दाग सकेगा। इसका सफल परीक्षण भी हो चुका है। आर्मी ने 118 अर्जुन एमके-1ए टैंक का ऑर्डर दिया है।

-Compiled by up18 News