खेत-खलियानों में राष्ट्रीय पक्षी मोर को नाचते हुआ देखा जाना आम बात है, लेकिन अगर मोर का रंग सफेद हो तो मोर की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है और हर दिल इस मनमोहक नजारे को देखकर गदगद हो जाता है। सफेद मोर बेहद दुर्लभ पक्षी है। मोर के पंख पिगमेंट की कमी के कारण सफेद होते हैं। जानकारी के अनुसार, आनुवांशिक परिवर्तन के कारण मोर के पंखों में रंग में कमी हो जाती है और वह सफेद होने लगते हैं। जापान में टोक्यो के चिड़ियाघर में सफेद मोर सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। हजारों की संख्या में लोग इसे देखने आते हैं।
सफेद मोर के केवल पंख सफेद होते हैं और भारत में ये मोर ज्यादातर इंदौर, मैसूर और कई शहरों के चिड़ियाघर, शहर, राष्ट्रीय उद्यान में देखें जा सकते हैं। उसी तरह कई और देशो में भी सफेद मोर चिड़ियाघर में पाए जाते हैं। सफेद मोर मूल रूप से दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि जब नीले रंग के मोर आपस में प्रजनन करते हैं तो उनके बच्चों का रंग नीला ही हो ये जरूरी नहीं है। कभी-कभी उनके बच्चे भी सफेद पंख वाले हो पैदा हो जाते हैं। सफेद रंग के पंख आनुवांशिक परिवर्तन के कारण होते हैं। पिंगमेंट की कमी के कारण मोर के पंखों का रंग सफेद होता है। मुख्य तौर से मोर नीले रंग का होता है। इसके अलावे मोर सफेद, हरे और जामुनी रंग का भी होता है। मोर की उम्र 25 से 30 वर्ष होती है।
1963 में राष्ट्रीय पक्षी घोषित हुआ मोर
मोर को 26 जनवरी 1963 को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। इसका वजन 2.7 किलोग्राम से लेकर 6 किलोग्राम तक होता है। अधिक वजन होने के कारण ही यह लंबे समय तक नहीं उड़ सकता है। इसी वजह से यह पक्षी होने के बावजूद चलना ही अधिक पसंद करता है। मोर समूह में रहना ही ज्यादा पसंद करते हैं। ये सामान्य तौर पर दो से तीन वर्ष में प्रजनन के लिए योग्य हो जाते हैं। इनके प्रजनन का काल जनवरी से सितंबर तक है। मोर एक बार में सामान्य तौर पर 4 से 6 अंडे देते हैं। दूसरे पक्षियों की तरह अंडे देने के लिए मोरनी घोसला नहीं बनाती है। यह जमीन पर ही किसी सुरक्षित स्थान को तलाश कर वहां अंडे देती है। पूरे विश्व में सबसे खूबसूरत और आकर्षक मोर भारत में पाए जाते हैं।
Compiled: up18 News