अरब सागर में बिपरजॉय तूफान और तीव्र के साथ खतरनाक हो गया है, इसका असर असर केरल की ओर से आने वाले मानसून पर पड़ सकता है, बिपरजॉय नाम से लगता है कि इसका संबंध जॉय यानि किसी आनंद से है लेकिन ऐसा वास्तव में है नहीं.
इस चक्रवाती तूफान को ये नाम यानि बिपरजॉय बांग्लादेश ने दिया. बांग्ला में इस नाम का मतलब होता है डिजास्टर यानि विध्वंसक. अब ये देखा जाने लगा है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों जगहों में तूफान बन रहे हैं और तेजी से प्रचंड भी हो जा रहे हैं. ये अपनी ताकत को कई दिनों तक बनाकर रखते हैं.
अरब सागर में बनने लगे ज्यादा तूफान
वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर में जो तूफान बन रहे हैं, मानसून से पहले उनके बनने की गति, समय और तीव्रता सभी में 40 फीसदी इजाफा हुआ है जबकि 20 फीसदी बढोतरी मानसून के बाद ऐसे तूफानों के बनने में आई है. पहले यहां उतने खतरनाक तूफान नहीं बनते थे, जितने अब बनने लगे हैं.
इसकी वजह आखिर क्या है
भारतीय मौसम विभाग से जुड़े जलवायु वैज्ञानिक कहते हैं तूफानों के बनने में आई तेजी का रिश्ता समुद्र के पानी के तापमान में हो रही बढोतरी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ती नमी के चलते हो रहा है. पहले अरब सागर आमतौर पर ठंडा रहता था लेकिन अब ये गरम पानी के पूल में बदल चुका है.
एक और साइंटिस्ट कहते हैं कि क्लायमेट चेंज के कारण समुद्र पहले ही गर्म हो चुके हैं. ताजातरीन अध्ययन बताते हैं कि मार्च के बाद अरब सागर 1.2 डिग्री गरम हो चुका है. ये स्थिति किसी भी तूफान के बनने और उसे ताकतवर बनाने में बहुत सहायक होती है.
क्या ये आने वाले समय में मानसून पर असर डालेंगे
बेशक ऐसा होगा, क्योंकि अगर अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में ज्यादा तूफान बनने लगेंगे तो ये मानसूनी हवाओं पर बुरी तरह असर डालेंगे उसे तितर बितर कर देंगे. उससे भारत में हर साल आने वाले मानसून की लय और सेहत दोनों पर खराब असर पड़ेगा. ये भी हो सकता है कि मानसून का समय ही अनिश्चित हो जाए. इन दोनों स्थितियों में ना केवल हमारी कृषि पर असर पड़ेगा बल्कि बरसात से हमें नदियों, जलाशयों में जो जल मिलता है, उस पर भी बुरी तरह असर पड़े.
कैसे आता है चक्रवाती तूफान
समुद्री जल का तापमान बढ़ने पर इसके ऊपर मौजूद हवा गर्म हो जाती है,. फिर ये ऊपर की ओर उठने लगती है. उस जगह कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है. इसे भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा इस ओर बढ़ती है. गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने से जो प्रतिक्रिया होती है, वो तूफान के रूप में सामने आती है. गर्म होकर ऊपर उठने वाली हवा में नमी भी होती है, यही वजह है कि साइक्लोन में तेज हवा के साथ बारिश भी होती है.
कितनी श्रेणियों का तूफान
हवा की रफ्तार के अनुसार चक्रवात को मूलतः 5 श्रेणियों में रखा गया है. पहली श्रेणी में तूफान की गति 119 किलोमीटर से 153 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. दूसरी श्रेणी में साइक्लोन 154 से 177 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ता है. तीसरा तूफान 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटा तेजी से आगे बढ़ता है. चौथे साइक्लोन की स्पीड 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. वहीं पांचवे और सबसे तेज साइक्लोन की रफ्तार होती है- 252 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे भी ज्यादा.
कौन सा तूफान था सबसे विनाशकारी
अब तक का सबसे विनाशकारी साइक्लोन साल नवंबर 1970 में बांग्लादेश में आया था. इसका नाम था ग्रेट भोला साइक्लोन, जिसकी वजह से लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी .भारत में भी एक तूफान ने ऐसा ही हाहाकार मचाया था. ये 1737 में आया था, जिसे हुगली रिवर साइक्लोन के नाम से जाना जाता है. इसने लगभग साढ़े तीन लाख लोगों की जान ले ली.
अमेरिका के साइक्लोन कैटरीना को भी इसी श्रेणी में रखा जाता है. साल 2005 में इसकी वजह से 2000 जानें गईं. साथ ही मकान, दफ्तर टूटने से जो नुकसान हुआ, वो लगभग $108 billion था. ये दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा नुकसान माना जाता है. अमेरिका दुनिया के उन चुनिंदा हिस्सों में से है जहां सबसे ज्यादा चक्रवाती तूफान आते हैं. ऐसा यहां के मौसम की वजह से है. टेक्सास, न्यू ऑरलीन्स, फ्लोरिडा जैसे क्षेत्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
टायफून, हरीकेन और साइक्लोन में क्या अंतर
आमतौर पर टायफ़ून, हरीकेन और साइक्लोन को एक ही मान लिया जाता है. वैसे तो ये तीनों ही बारिश लाने वाले तूफान हैं लेकिन ये तीनों अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में आते हैं. मसलन टाइफून कम दबाव का तूफान है लेकिन जब इसकी रफ्तार बढ़कर 120 किलोमीटर प्रतिघंटा या ज्यादा हो जाती है तो इसे टायफून कहा जाता है. आमतौर पर यह जापान, ताइवान, फिलीपींस या पूर्वी चीन को प्रभावित करता है.
भारत में आने वाले तूफान साइक्लोन होते हैं जिसकी रफ्तार 140 किलोमीटर प्रतिघंटे के आसपा होती है. ये लगभग 16 सौ किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जिसके बाद गति घटने के साथ इसकी तबाही बंद हो जाती है.
हरीकेन अमेरिकी क्षेत्रों पर असर डालता है. इसकी रफ्तार 90 किलोमीटर से लेकर 190 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. इसके साथ-साथ बारिश और चक्रवाती हवाएं भी चलती हैं जिसे टॉरनेडो कहते हैं. यही वजह है कि अमेरिका में कम गति के बाद भी तूफान आमतौर पर सबसे ज्यादा भयंकर हो जाते हैं. हालांकि यहां डिजास्टर मैनेजमेंट की तकनीकें इतनी विकसित हैं कि नुकसान कम से कम होता है.
Compiled: up18 News
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