जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। देश के कुछ हिस्सों में 18 अगस्त को मनाया जा चुका है लेकिन अधिकांश जगह आज 19 अगस्त को जन्माष्टमी मन रही है। भगवान विष्णु ने द्वापर युग में कृष्ण अवतार लिया था। यूं तो कृष्ण की कई लीलाएं मशहूर हैं। उनकी लीलाएं हमेशा ही सबका मन मोह लिया करती थीं लेकिन भगवान कृष्ण के बारे में आठ ऐसी चमत्कारी और अनोखी बातें हैं जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
चतुर्भुज रूप में देवकी और वासुदेव के सामने हुए प्रकट
जब भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था। उससे पहले ही उन्होंने चमत्कार दिखाया था। अपने जन्म से पहले ही वह चतुर्भुज रूप में देवकी और वासुदेव के सामने प्रकट हुए थे। तब उन्होंने देवकी और वासुदेव से कहा था कि मैं आपके पुत्र के रूप में जन्म लेने वाला हूं और मैं ही कंस का वध करुंगा। मेरे जन्म के साथ ही आप मुझे नंदजी के पास छोड़ आएं। तब वासुदेव और देवकी ने उनसे बालक रूप में प्रकट होने का आग्रह किया और कृष्ण बालक रूप धारण कर माता की गोद में आ गए।
श्रीकृष्ण की माया से भूल गए सब कुछ
श्रीकृष्ण ने जैसे ही अवतार लिया, उनके माता पिता उस घटना को भूल गए। वासुदेव और देवकी को यह याद नहीं रहा कि भगवान ने उन्हें चतुर्भुज रूप में दर्शन दिया है और श्रीकृष्ण भगवान के अवतार हैं। अपनी माया से श्रीकृष्ण ने कंस के सैनिकों को अचेत कर दिया। माता देवकी को घोर निद्रा में सुला दिया। वासुदेवजी श्रीकृष्ण की प्रेरणा से अर्धचेतन अवस्था में बाल श्रीकृष्ण को लेकर नंदगांव पहुंच गए और वहां नंदराय के पास बालक श्रीकृष्ण को सौंपकर वासुदेवजी कंस के कारागृह में लौट आए। लेकिन इन सभी घटनाओं का स्मरण वासुदेवजी को नहीं रहा।
यमुना ने श्रीकृष्ण चरण का किया स्पर्श
जब वासुदेवजी भगवान कृष्ण को लेकर नंदजी के पास जा रहे थे, तब खूब बरसात हो रही थी। इस दौरान उन्होंने यमुना नदी पार की। यमुना का पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा था। तब वासुदेव जी ने उस टोकरी को अपने सिर पर रख लिया जिसमें वह भगवान कृष्ण को लेकर जा रहे थे। यमुना जी को भगवान के अवतार के विषय में जानकारी थी और वह श्रीकृष्ण के चरणों का स्पर्श करना चाहती थीं इसलिए यमुना का पानी लगातार ऊपर बढ़ रहा था। जैसे ही यमुना ने श्री कृष्ण के पैरों का स्पर्श किया, वैसे ही पानी कम होने लगा। इस तरह यमुनाजी ने सबसे पहले कृष्ण के पैरों को छुआ था
पूर्वजन्म में भी देवकी थीं श्रीकृष्ण की माता
पूर्वजन्म में भी माता देवकी भगवान कृष्ण की मैया थी। ऐसी मान्यता है कि पूर्वजन्म में देवकी, कौशल्या और भगवान कृष्ण, राम थे जबकि द्वापर में माता कैकेयी, मैया यशोदा थीं। दरअसल, माता कैकेयी ने भगवान राम को वनवास तो भेज दिया लेकिन बाद में उन्हें इसका बहुत अफसोस हुआ और जब भगवान राम अयोध्या लौटकर आए तो माता कैकेयी ने भगवान राम से कहा कि अगले जन्म मैं तुम्हारी माता बनूं और मुझे तुम्हारे मातृत्व का सुख मिले इसीलिए भगवान कृष्ण का जन्म तो देवकी से हुआ, लेकिन लालन पालन माता यशोदा ने किया और संसार में श्रीकृष्ण की मैया के रूप में इन्हें ही लोग जानते हैं।
श्रीकृष्ण जन्म का रहस्य जानते थे नंदबाबा
भगवान कृष्ण के जन्म के रहस्य के बारे में कोई नहीं जानता था। सिर्फ नंद बाबा ही उनके जन्म के रहस्य के बारे में जानते थे क्योंकि नंदबाबा के घर भी योगमाया ने उसी समय जन्म लिया था, जिस समय श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था। योगमाया ने नंदबाबा को श्रीकृष्ण के आगमन की सूचना दे दी थी और कहा था कि वासुदेवजी के पुत्र को लेकर तुम मुझे वासुदेवजी को सौंप देना। श्रीकृष्ण को लेकर नंद बाबा ने जब अपनी कन्या वासुदेवजी को दे दिया तो उन्हें भी फिर कुछ याद नहीं रहा।
श्रीकृष्ण के साथ जन्मे एक भी बच्चे जीवित नहीं रहे
जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस रात को कई बच्चों का जन्म हुआ था। कंस को जब यह पता चला कि देवकी ने आठवीं संतान को जन्म दिया है और वह बालक नहीं कन्या है तो उसे हैरानी हुई। फिर भी मृत्यु भय से भयभीत कंस उस कन्या को भी मारना चाहा और उसने एक बड़ी चट्टान पर कन्या को पटक दिया लेकिन कन्या चट्टान पर गिरने की बजाय आकाश में चली गई और अष्टभुजाओं वाली देवी के रूप में प्रकट हो गई। देवी ने कहा कि तुम्हें मारने वाला तो कोई और है और वह जन्म ले चुका है। कंस देवी के इस बात से और डर गया। कंस ने अपने मायावी राक्षसों को भेजकर श्रीकृष्ण के साथ उस रात जन्मे सभी बच्चों को मरवा दिया लेकिन श्रीकृष्ण ने कंस के मृ्त्यु दूतों को ही यमलोक पहुंचा दिया।
श्रीकृष्ण के पोते ने बनवाया था मंदिर
श्रीकृष्ण के देहत्याग के बाद समुद्र में जब द्वारिका समा गई तब पांडवों ने श्रीकृष्ण के पोते वज्रनाभजी को मथुरा का राजा बनाया। राज वज्रनाभजी ने यहां पर श्रीकृष्ण की स्मृति में कई मंदिरों का निर्माण करवाया।
जन्मभूमि मंदिर में मौजूद है चबूतरा
मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में एक चबूतरा है। कहते हैं जिस स्थान पर यह चबूतरा है, वहीं पर भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था। द्वापर युग में यहीं पर कंस का कारागृह था जिसमें देवकी और वसुदेवजी के कंस ने बंदी बनाकर रखा था।
-एजेंसी
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