केरल हाई कोर्ट ने हादिया केस में उनके पिता केएम असोकन की ओर से दायर की गई हैबियस कॉर्पस पिटीशन (बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका) खारिज कर दी है.
अदालत ने कहा कि हादिया को अवैध रूप से हिरासत में नहीं रखा गया है, इसलिए ये याचिका खारिज की जा रही है.
जस्टिस अनु श्रीनिवासन और जस्टिस सी प्रदीप कुमार की खंडपीठ ने कहा कि हादिया आज़ादी से अपना जीवन जी रही हैं. इससे पहले हादिया ने कोर्ट में अपना बयान दाखिल किया था.
हादिया ने अदालत को बताया कि उसने तलाक़ ले लिया है और फिर से शादी की है. वो फिलहाल तिरुवनंतपुरम में रह रही हैं.
उन्होंने अपने फोन कॉल रिकॉर्ड्स भी अदालत के सामने पेश किए जिसके जरिए उन्होंने बताया कि वो अपने माता-पिता के संपर्क में हैं. हादिया का पुराना नाम अखिला है.
उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था. साल 2017 में उन्होंने शफिन जहां से शादी की थी. हाई कोर्ट ने उनकी शादी को निष्प्रभावी करार देकर उन्हें उनके माता-पिता के घर भेज दिया था.
तब हाई कोर्ट ने ये कहा था कि उन्हें संरक्षण की ज़रूरत है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया और हादिया की शादी फिर से बहाल कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन किया है और अपनी इच्छा से विवाह किया है.
मीडिया में एक तबके ने इस केस को ‘लव जिहाद’ का मामला करार दिया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने इसकी जांच की. एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि शफीन जहां पर कोई आरोप नहीं हैं.
-एजेंसी