जुगाड़: सस्ती हवाई यात्रा के लिए स्किपलैगिंग ट्रिक, अपनाकर देखें

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कई टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऐसे हैं जहां पहुंचना महंगा होता है. हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों ने इसका एक समाधान निकाल लिया है. उन्होंने सफर को सस्ता और सुविधाजनक बनाने के लिए जुगाड़ लगाई, जिसे स्किपलैगिंग कहा जा रहा है. यह तरीका हवाई यात्रियों को राहत दे रहा है, लेकिन विमान कंपनियों के लिए सिरदर्द बन रहा है. हालांकि, कुछ विमान कंपनियां इसे बैन करने पर भी विचार कर रही हैं.

जानिए क्या है स्किपलैगिंग, कैसे काम करता है यह कॉन्सेप्ट, इससे कंपनियों को घाटा क्यों हो रहा है और यह तरीका अपनाते समय किन बातों का ध्यान रखें.

क्या है स्किपलैगिंग?

आसान भाषा में समझें तो स्किपलैगिंग सस्ती हवाई यात्रा करने का एक तरीका है जो यात्रियों को राहत दे रहा है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए, आप दिल्ली से पुणे जाना चाहते हैं तो उसका किराया 7,817 रुपए है. ऐसे में आप दिल्ली से बेंगलुरू जाने वाली उस फ्लाइट को पकड़ सकते हैं जिसके बीच में पुणे पड़ता है. यहां पर आप उतर सकते हैं. इस तरह आप इस यात्रा में करीब 2 हजार रुपए तक बचा सकते हैं. जबकि दिल्ली से पुणे जाने वाली सीधी फ्लाइट महंगी पड़ती है. इसे हिडेन सिटी फ्लाइट कहते हैं.

कंपनी को चूना और यात्रियों को राहत कैसे?

इस तरीके को इस्तेमाल करने की नौबत क्यों आई, अब इसे भी समझ लेते हैं. दरअसल, कई ऐसे डेस्टिनेशन होते हैं जहां पर कॉम्पिटीशन ज्यादा होता है. इसे भारत के उदाहरण से समझें तो राजधानी समेत देश के कई ऐसे शहर हैं जहां लोग कम यात्रा करते हैं. जैसे- पुणे. विमान कंपनी इन जगहों के लिए कम फ्लाइट चलाती हैं. यहां पहुंचने के लिए किराया अधिक दूरी वाले और पॉपुलर डेस्टिनेशन के मुकाबले महंगा होता है. यही वजह है कि यात्री बीच में पड़ने वाले शहर में उतरते हैं. नतीजा, वहां से विमान कंपनी की सीट अगले डेस्टिनेशन तक के लिए खाली हो जाती है और कंपनी को नुकसान होता है.

कैसे उठायें फायदा?

अमेरिका और पश्चिम देशों में पहले से स्किपलैगिंग ट्रिक का इस्तेमाल किया जा रहा है. अब भारत समेत दुनिया के दूसरे देशों में भी हवाई यात्री किराए में कमी लाने के लिए लोग यह ट्रिक अपना रहे हैं.

इस ट्रेंड को बढ़ावा देने का काम Skiplagged.com नाम की पॉपुलर वेबसाइट ने किया है. जहां से अमेरिकी और पश्चिमी देशों के लोग स्किपलेग्ड फ्लाइट बुक करते हैं. हालांकि इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है.

जैसे अपना सामान चेकइन न कराएं. लगेज का वजन इतना होना चाहिए तो इसके दायरे में न आए. ऐसे में यात्रियों को केबिन बैग या बैगपैक कैरी करने की सलाह दी जाती है. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी यात्रा फाइनल डेस्टिनेशन तक के लिए मान ली जाती है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें.

-एजेंसी


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