जरायम की दुनिया बड़ी अलग है। यहां अलग नियम-कायदे चलते हैं। बोली-भाषा से लेकर उठने-बैठने और जीने का तरीका भी अलहदा रहता है। 90 के दशक की हिंदी फिल्मों ने अंडरवर्ल्ड को करीब से दिखाया। फिर चाहे वह ‘सड़क’ हो या ‘सत्या’, ‘वास्तव’ हो या ‘कंपनी’… गैंगस्टर्स की जिंदगियों के इर्द-गिर्द कई कहानियां बुनी गईं। फिर दौर आया अंडरवर्ल्ड डॉन्स की बायोपिक्स का।
हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार, दाऊद इब्राहिम, अबू सलेम… लिस्ट बड़ी लंबी है। मुंबई लंबे वक्त तक इन गैंगस्टर्स का प्लेग्राउंड रही। भारत में अंडरवर्ल्ड कल्चर से कुछ शब्द निकले जो फिल्मों से होते हुए जनता तक पहुंचे। खोका, पेटी, घोड़ा, सुपारी… ये ऐसे शब्द हैं जो अंडरवर्ल्ड के रास्ते पब्लिक तक आए। ऐसे कोड-वर्ड्स के मतलब क्या होते हैं, आइए जानते हैं। यह भी समझते हैं कि कैसे धीरे-धीरे कुछ कोड-वर्ड्स बदले और उनकी जगह ट्रेंडिंग जार्गंस ने ले ली।
सुपारी, खोका, घोड़ा… क्या है इनके मायने?
हिंदी फिल्मों में गैंगस्टर्स इन शब्दों का खूब इस्तेमाल करते दिखते हैं। ‘पेटी’ मतलब 1 लाख रुपये और ‘खोका’ मतलब 1 करोड़ रुपये होता है। मुंबई के माफिया सर्किल में ‘सुपारी’ का मतलब कॉन्ट्रैक्ट किलिंग से और ‘लंबी’ का मतलब AK-47 से है। ‘घोड़ा’ बोले तो पिस्टल। ‘देसी घोड़ा’ या मतलब भारतीय पिस्तौल और ‘विदेशी घोड़ा’ का मतलब इम्पोर्टेड पिस्टल।
जब इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) लीग शुरू हुआ तो क्रिकेट के कई टर्म्स भी अंडरवर्ल्ड में इस्तेमाल होने लगे। जैसे- मर्डर के लिए ‘सिक्सर’ और हवाई फायर के लिए ‘फोर’, 500 रुपये के नोट के लिए ‘इलायची’, छोटे बम के लिए ‘लड्डू’, टाइम बम के लिए ‘घड़ी’ यूज करते हैं। वक्त के साथ, ‘खोका’ और ‘पेटी’ भी रीप्लेस हुए। कुछ अपराधी इनकी जगह ‘हाथ’ और ‘कान’ का इस्तेमाल करते हैं। हत्या के लिए ‘टपका देने’ का भी प्रयोग होता है।
डॉन, माफियाओं के लिए भी कोड-वर्ड
आपस में बातचीत के लिए तो कोड-वर्ड्स हैं ही, डॉन और माफियाओं को भी खास नामों से पुकारा जाता है। कुख्यात डॉन दाऊद इब्राहिम को उसके करीबी ‘मुच्छड़’, ‘बड़े’ कहकर बुलाते हैं। बड़ा राजन के मरने के बाद दाऊद ने राजेंद्र सदाशिव निकाळजे को ‘छोटा राजन’ बुलाना शुरू किया।
दाऊद के गैंग में ‘लंबा शकील’ नाम वाला गैंगस्टर भी हुआ करता था। छोटा राजन के गैंग छोड़ने के बाद ‘छोटा शकील’ की एंट्री हुई। फहीम ‘मचमच’ को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि वह रंगदारी मांगते वक्त बहुत परेशान करता था। ताहिर मर्चेंट को ‘ताहिर टकला’ बुलाते थे क्योंकि वह गंजा था। गैंगस्टर अरुण गवली को अपराध की दुनिया में ‘डैडी’ कहा जाता था।
Compiled: up18 News