गाजीपुर: यूपी की गाजीपुर जिला जेल में बंदी के अवैध रूप से फोन कॉल करने के मामले में योगी सरकार ने सख्त कदम उठाया है। डीजी जेल ने जेलर राकेश वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। यह कार्रवाई जेल के अंदर से एक बंदी के फोन पर धमकी देने की घटना के बाद की गई है।
बीते फरवरी माह में गाजीपुर जेल से एक युवक को धमकी भरा फोन कॉल आया था। पीड़ित युवक ने इसकी शिकायत एसपी ग्रामीण को दी और बताया कि ठगी के मामले में जेल में बंद बक्सूबाबा एकेडमी के संचालक विनोद गुप्ता ने उसे धमकाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। स्वाट और सर्विलांस टीम ने जंगीपुर थाना क्षेत्र के बिलाईच गांव निवासी पम्मी यादव को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में पम्मी ने खुलासा किया कि उसने ही जेल में सिमकार्ड पहुंचाया था। सिमकार्ड उसके चचेरे भाई बजरंगी यादव ने मंगवाया था, जिसका इस्तेमाल बजरंगी और विनोद गुप्ता ने किया। इसके बाद विनोद गुप्ता के खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया।
जांच के दौरान जेल अधीक्षक के रीडर की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने बताया कि जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इसके आधार पर डीजी जेल ने जेलर और डिप्टी जेलर को सस्पेंड कर दिया और अधीक्षक पर कार्रवाई की सिफारिश की।
कई बंदियों का होगा ट्रांसफर
इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है। सूत्रों के मुताबिक, जेल में मोबाइल के इस्तेमाल और गवाहों को धमकी देने के मामले में कुछ बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों का तबादला किया जा सकता है। चार चिन्हित बंदियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और कागजी कार्यवाही पूरी की जा रही है। जल्द ही जेल प्रशासन अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगा, जिसके बाद ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होगी।
शासन स्तर पर कार्रवाई की तैयारी
इस मामले ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। योगी सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जेल में अनुशासनहीनता और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब सभी की नजरें शासन के अगले कदम पर टिकी हैं।
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