समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में लंबे समय बाद किसी इसराइली नेता ने इस सिद्धांत का ज़िक्र किया है.
उन्होंने कहा कि ‘फ़लस्तीनी लोगों से दो समाजों के लिए दो राष्ट्रों के सिद्धांत पर समझौता इसराइल की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और हमारे बच्चों के भविष्य के लिए सही कदम होगा.”
उन्होंने ये भी कहा कि कोई भी समझौता इस बात पर टिका होगा कि फ़लस्तीनी क्षेत्र एक शांतिपूर्ण राज्य बने जो इसराइल के लिए ख़तरा पेश न करे.
इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच दशकों से जारी संघर्ष के समाधान के लिए दोनों पक्ष के नेताओं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में दो-राष्ट्र सिद्धांत पर बात होती रही है. इसके तहत पश्चिमी किनारे, गज़ा पट्टी और पूर्वी यरुशलम में वर्ष 1967 की संघर्षविराम रेखा से पहले के क्षेत्र में एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी राष्ट्र का निर्माण होना है जिसे इसराइल के साथ शांति से रहना होगा.
लेपिड ने ये बयान इसराइल में एक नवंबर को होने वाले चुनाव से ठीक छह हफ़्ते पहले दिया है.
कहा जा रहा है कि आगामी चुनाव में दक्षिणपंथी नेता बेन्यामिन नेतान्याहु की वापसी हो सकती है जो दो राष्ट्रों के सिद्धांत का विरोध करते रहे हैं.
ये बयान देने के बाद लेपिड को इसराइल में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
इसराइल की गृह मंत्री ने हुए ट्विटर पर लिखा है-
‘फ़लस्तीनी स्टेट का समर्थन करते हुए येर लेपिड अपने व्यक्तिगत विचार रख रहे हैं. ये एक चुनावी हथकंडा है. हम कभी भी इसराइली ज़मीन पर एक आतंकी फ़लस्तीनी राज्य नहीं बनने देंगे. इस तरह का राज्य चरमपंथ, आतंक और क्षेत्रीय अस्थिरता को पनपने का माहौल देगा.’
इसके साथ ही बेन्यामिन नेतान्याहु और नेफ़्टाली बेनेट की ओर से भी लेपिड की आलोचना किए जाने की ख़बरें सामने आ रही हैं.
-एजेंसी