आयरन लंग मैन का 78 साल की उम्र में निधन, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम

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कैसा था पॉल का जीवन

पॉल का जन्म 1946 में हुआ था. पैदा होने के बाद से ही उनका जीवन सामान्य बच्चों की तरह नहीं था, उन्होंने स्वास्थ्य से संबंधित कई गंभीर चुनौतियों का सामना किया. साल 1952 में अमेरिका में इतिहास का सबसे बड़ा पोलियो आउटब्रेक हुआ था. ये बीमारी एक संक्रमण की तरह फैली थी. इस समय इसके 58,000 से ज्यादा मामले सामने आए थे और पीड़ितों में बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा थी. पॉल भी पोलियो से ग्रस्त हो गए थे. जिसके बाद उनका निचला पूरा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. गर्दन के नीचे का हिस्सा बिल्कुल काम करने लायक नही रहा था. जिसके बाद उन्हें लंग्स से संबंधित समस्या भी शुरू हो गई और उन्हें सांस लेने में परेशानी आने लगी.

लंबे समय तक रहे आयरन लंग मशीन में

इस हालात में उन्हें आयरन लंग मशीन में रखने का फैसला लिया गया और ये फैसला उनकी नियति बन गया. इस मशीन का आविष्कार 1928 में हुआ था. जिसे पॉल की तरह के मरीजों के लिए बनाया गया था. फिलहाल पॉल इस मशीन में रहने वाले एकमात्र इंसान थे. हालांकि मेडिकल साइंस ने तरक्की की और इसका इलाज विकसित हुआ लेकिन पॉल ने इसी मशीन में रहने का ही फैसला किया क्योंकि वो इसे नहीं छोड़ पाएं और अपनी पूरी जिंदगी इसी आयरन लंग मशीन में बिता दी.

इस मशीन की मदद से वो आसानी से सांस ले पाते थे और उन्होंने और उनके शरीर ने खुद को मशीन के अनुरूप ढाल लिया था. इसे फ्रॉग ब्रीदिंग तकनीक कहा जाता है जिसका उपयोग पॉल करते थे. इसी मशीन में रहते हुए पॉल ने अपनी पढ़ाई पूरी की और किताब तक लिख डाली. वो अपने मुंह से ही ब्रश की मदद से पेंटिंग तक कर लेते थे.

मशीन में रहकर पूरे किए सपने

पॉल ने मशीन में रहकर ही पढ़ाई की और वकालत की डिग्री हासिल की. दशकों तक उन्होंने वकालत की और किताबें भी लिखी. 2021 में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने बारे में कई बातें बताई और बताया कि उन्होंने कभी हालातों से हार नहीं मानी. आज पॉल इस दुनिया को छोड़ गए लेकिन जाते-जाते सबको जीना सिखा गए.

– एजेंसी


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