आगरा: ग्लोबल आयोडिन डिफिशिएंसी डिसॉर्डर दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने शरीर में आयोडीन की कमी के नुकसान के बारे में बताया।
सीएमओ ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत नेशनल आयोडीन डिफिशिएंसी डिसऑर्डर कंट्रोल प्रोग्राम (एनआईडीडीसीपी) चलाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों को रोकना, नियंत्रित करना और जड़ से खत्म करना है। इस प्रोग्राम के तहत आयोडीन युक्त नमक की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आईडीडी सेल और आईडीडी निगरानी प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है।
सीएमओ ने बताया कि शरीर में आयोडीन का निर्माण नहीं होता है। आहार के रूप में ही इसे शरीर के अंदर पहुंचाना होता है। आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि का आकार असाधारण रूप से बढ़ जाता है। अन्य खाद्य पदार्थों के साथ आयोडीन युक्त नमक इसका विकल्प है। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरुक करने के लिए 21 अक्टूबर को आयोडीन डिफिशिएंसी दिवस मनाया जाता है।
संचारी रोगों के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के अनुसार भारत में लगभग 20 करोड़ लोगों में आयोडीन की कमी से होने वाले विकार का खतरा है। इनके अलावा 7.1 करोड़ लोग गॉइटर (गलगंड) और अन्य आयोडीन डिफिशिएंसी से पीड़ित हैं। दुनियाभर में यह आंकड़ा दो अरब है। आयोडीन की कमी से विकार किसी को भी अपना शिकार बना सकता है, लेकिन 6 से 12 आयु वर्ग के बच्चे सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आते हैं।
गैर संचारी रोगों के सह नोडल डॉ. पियूष जैन ने बताया कि यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए तो आयोडीन की कमी से हार्ट संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। जैसे- हार्ट का बढ़ा हुआ आकार और हार्ट फेल होना। वहीं इसकी कमी से महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती है। जैसे- अवसाद और बांझपन। आयोडीन की कमी वाली महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना 46 फीसदी कम होती है। गर्भवती महिलाओं में थॉयराइड हार्मोन की कमी का असर बच्चे पर पड़ता है।
उन्होंने बताया कि गर्दन में सूजन, अचानक वजन बढ़ना, कमजोरी या थकान महसूस होना, बालों का झड़ना या कम होना, याददाश्त कमजोर होना, गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं, मासिक धर्म की अनियमितता या मासिक धर्म में अधिक खून आना आयोडीन की कमी के सामान्य लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि यूरिन या ब्लड टेस्ट से आयोडीन की कमी का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए आयोडीन पैच टेस्ट भी होता है। डॉ. पियूष ने बताया कि यदि आहार से पर्याप्त आयोडीन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, आयोडीन नमक के सेवन से इसे दूर किया जा सकता है।
आयोडीन के प्रमुख स्त्रोत-
मछली, अंडे, ब्रेड, डेयरी उत्पाद और समुद्री शैवाल
शमसाबाद सीएचसी पर मनाया गया ग्लोबल आयोडीन डिफिशिएंसी दिवस
आगरा. ग्लोबाल आयोडीन डिफिशिएंसी दिवस के अवसर पर शमसाबाद ब्लॉक के ग्राम मीरपुर स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुई। इसमें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य किशोर की टीम द्वारा छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों को जागरुक किया गया।
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि बच्चों के समुचित विकास के लिए उन्हें आयोडीन युक्त नमक ही खाना है और बच्चों को भी यही नमक खिलाना है। ऐसा न करने से जन्मजात शारीरिक एवं मानसिक दिव्यांगता, गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास में कमी, अपंगता, बहरापन, गूंगापन, शरीर में उर्जा की कमी व थकान, बांझपन और मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं पैदा हो जाती हैं । इस अवसर पर न्यूट्रिशन इंटरनेशनल की विद्या, स्कूल हेडमास्टर, अध्यापक व अन्य मौजूद रहे।
-up18news
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